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भूपेश बघेल की सरकार को एक तरफ जहां जनता की नाराजगी का सामना करना पड़ा वहीं विपक्ष ने भी उन्हें इस मामले में आड़े हाथों लिया। अब केंद्र सरकार इस समस्या को देखते हुए बिजली की रेगुलर सप्लाई को लेकर प्लानिंग कर रही है।इसके लिए जल्द ही एक नई नीति को मंजूरी भी दे सकती है ।
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इस निति के लागू होने के बाद अगर बिजली कटौती होने पर ग्राहकों को बिजली वितरण कंपनी से जुर्माना दिलाने का प्रस्ताव है। जानकारी के अनुसार बिजली मंत्रालय ने न्यू पॉवर टैरिफ पॉलिसी (New Power Tariff Policy) का ड्राफ्ट मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए भेज दिया है। इस ड्राफ्ट को जल्दी ही मंजूरी मिलने की उम्मीद है।
बिजली कटौती पर मिलेगा पैसा
इस पॉलिसी के तहत अगर प्राकृतिक आपदा या तकनीकी कारणों को छोड़कर अगर किसी अन्य वजह से बिजली कटौती की जाती है तो संबंधित वितरण कंपनियों को हर्जाना देना होगा और इसकी धन राशि सीधे ग्राहकों के खाते में जाएगी। ये जुर्माना कितना होगा इसका फैसला राज्य विद्युत नियामक आयोग करेगा।
प्रोत्साहित करने के लिए बनाया प्लान
निति के लागू होने के बाद कंपनियों को 24 घंटे सातों दिन बिना कटौती के बिजली उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा। बिजली कम्पनियाँ बिना वजह मनमानी कटौती नहीं कर पाएंगी। साथ ही लो वोल्टेज और अन्य तकनीकी समस्याओं को जल्द से जल्द दूर करना अनिवार्य होगा । ऐसा नहीं होने की स्थिति में ग्राहकों को जुर्माना देना पड़ेगा।
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इस निति के तहत राज्य सरकार अगर बिजली सब्सिडी देने का ऐलान करती हैं तो ये सब्सिडी सीधे ग्राहक के खाते में ट्रांसफर करना होगा। इस व्यवस्था से ग्राहक बिजली बचत के लिये प्रोत्साहित होंगे। वे अधिक बिजली बचत का प्रयास करेंगे ताकि उन्हें सब्सिडी ज्यादा-से-ज्यादा मिले।
स्मार्ट हो जाएंगे बिजली मीटर
नई नीति के तहत अगले तीन साल में स्मार्ट/प्रीपेड मीटर लगाने का भी प्रावधान होगा। स्मार्ट/प्रीपेड मीटर से ग्राहक मोबाइल फोन की तरह जरूरत के अनुसार रिचार्ज करा सकेंगे। इससे जहां एक तरफ बिजली बचत को प्रोत्साहन मिलेगा वहीं वितरण कंपनियों की वित्तीय सेहत भी अच्छी होगी।
एक देश, एक ग्रिड
बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई में अपने बजट भाषण में एक देश एक ग्रिड का लक्ष्य हासिल करने के लिये संरचनात्मक सुधारों पर जोर दिया था। सीतारमण ने कहा था, हम क्रॉस सब्सिडी प्रभार, खुली बिक्री पर अवांछनीय शुल्क या औद्योगिक और बिजली के अन्य उपभोक्ताओं के लिये कैप्टिव उत्पादन (निजी उपयोग के लिये) जैसे अवरोधों को हटाने के लिये राज्य सरकारों के साथ काम करेंगे।