Raipur News : अपने आप में चौंकाने वाली खबर है… बच्चों में मार्शल आर्ट्स का क्रेज क्रिकेट से ज्यादा है। बैडमिंटन के फॉलोअर भी क्रिकेट से आगे निकल गए। यह सब ऐसे समय हुआ जब क्रिकेट का मेगा इवेंट आईपीएल चल रहा था। ये नतीजे निकले हैं समर कैंप्स को स्कैन करने से। राजधानी में पहली बार समर कैंप में बच्चों की भीड़ कराते, ताईक्वांडो, जूडो और म्यू थाई जैसे सेल्फ डिफेंस वाले खेलों में देखने को मिली। (raipur news in hindi) लड़कियों में क्रेज कुछ ज्यादा ही था। अभिभावक भी सेल्फ डिफेंस और फिटनेस का महत्व समझते दिखे। इसलिए मुफ्त के साथ फीस वाले कैंप में भी भारी भीड़ दिखी।
इसलिए बढ़ी समरकैंप में भीड़स्पोर्ट्स यानी मोबाइल से छुटकारा बच्चों को मोबाइल से दूर रखने के लिए खेलकूद से जोड़ना सबसे आसान उपाय है। कई अभिभावकों ने बताया कि खेल मैदान में उतरने के बाद बच्चों में मोबाइल की लत कम हो जाती है। वहीं, कोरोना के बाद स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ी है। बच्चे खेलने लगे हैं तो बड़े सैर-व्यायाम करने लगे हैं।
नए खेलों में आ रहे आइकॉन खेलों की दुनिया यानी ओलंपिक, एशियन, कॉमनवेल्थ में हमारा प्रदर्शन लगातार सुधर रहा है। क्रिकेट के अलावा बैडमिंटन, रेसलिंग, बॉक्सिंग, एथलेटिक्स आदि में लगातार नए हीरो मिल रहा हैं। इसलिए अभिभावक अपने बच्चों को अन्य खेलों से जोड़ रहे हैं।
सिर्फ खेल नहीं कॅरियर भी खेलों से अब अच्छा कॅरियर भी बन रहा है। हर स्कूल, कॉलेज में स्पोर्ट्स टीचर की मांग हो रही है। निजी और सरकारी संस्थानों में खिलाड़ियों को नौकरी का कोटा अलग से निर्धारित है।
इसलिए टॉप स्पॉट से नीचे खिसका क्रिकेट क्रिकेट का क्रेज तो है, लेकिन यह महंगा खेल भी है। क्रिकेट किट ही 10-15 हजार में आती है। इसके सभी ट्रेनिंग सेंटर निजी हैं। (chhattisgarh news) यहां 10-15 हजार रुपए की फीस भी देनी पड़ती है। दूसरे खेलों में ऐसा नहीं है क्रिकेट के लिए बड़े मैदान की जरूरत होती है। जो अधिकतर स्कूलों में नहीं हैं। इसीलिए अधिकांश सरकारी और निजी स्कूलों में अन्य खेलों के सेंटर अधिक हैं।
मार्शल आर्ट से बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है। (raipur news hindi) आत्मरक्षा का तरीका सीख जाते हैं। ये बच्चों को मेंटली और फिजिकली दोनों तरह से फिट रखता है। – हर्षा साहू, राष्ट्रीय प्रशिक्षक, कराते
बच्चों को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग दिलाना आज की जरूरत बन गई है। बढ़ते अपराध को देखते हुए बच्चों को आत्मरक्षा के गुर सिखाना बेहद जरूरी है। (cg raipur news) इसीलिए मैं अपनी बच्ची को कराते ट्रेनिंग दिलवा रहे हैं।
– सतरूपा साहू, परिजन रायपुर में चल रहे स्पोर्ट्स कैंपमार्शल आर्ट्स – 15 सेंटर- कराते, 5 सेंटर- ताईक्वांडो, 7 सेंटर- जूडो, थाई बॉक्सिंग, म्यू थाई (आजकल अधिकांश स्कूलों में मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग भी दी जा रही है)।
– बैडमिंटन: 12 सेंटर (कॉलोनियों और क्लब में भी कई सेंटर चालू हैं।) – क्रिकेट: 10 से ज्यादा – फुटबॉल: 5 सेंटर (कई सरकारी स्कूलों में भी फुटबॉल ट्रेनिंग जारी।) – लॉन टेनिस: 5 सेंटर बड़े, कई क्लब में भी सेंटर।
– कुश्ती: 5 सेंटर – क्याकिंग-केनोइंग: 1 सेंटर *- तैराकी: 2 सेंटर – जम्परोप/रोप स्किपिंग: 2 सेंटर – सॉफ्टबॉल: 3 सेंटर (इसके अलावा भी कई नान ओलंपिक खेलों के सेंटर भी रायपुर में चल रहे)
बालिकाओं को स्वयं की रक्षा के लिए तैयार करना बेहद जरूरी है। मार्शल आर्ट सीखने वाली बच्चियां अपनी सुरक्षा स्वयं करने में सक्षम होती है। (cg raipur news) यह उनमें आत्मविश्वास रहता है। अभिभावक इसीलिए मार्शल आर्ट में अपने बच्चों को भेज रहे हैं।
– अनीष मेनन, राष्ट्रीय प्रशिक्षक, जूड़ो व थाई बॉक्सिंग मेरी बेटी कराते ट्रेनिंग काफी दिनों से कर रही है। फिटनेस के साथ खेल अब कॅरियर बनाने का भी अच्छा जरिया है। मेरी बेटी आज राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी है और आत्मरक्षा के लिए लोगों को जागरुक कर रही है।
– रुपेश ठाकुर, परिजन अभिभावक जागरूक हुए हैं। इसीलिए वे बच्चों को खेल मैदान भेज रहे हैं। मार्शल आर्ट खेल से जोडऩे से बच्चों में सुरक्षा की भावना पैदा होती है। स्वास्थ्य भी अच्छा रहा है।
– अजय साहू, राष्ट्रीय प्रशिक्षक, कराते मार्शल आर्ट से बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है। आत्मरक्षा का तरीका सीख जाते हैं। ये बच्चों को मेंटली और फिजिकली दोनों तरह से फिट रखता है। – हर्षा साहू, राष्ट्रीय प्रशिक्षक, कराते
बच्चों को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग दिलाना आज की जरूरत बन गई है। बढ़ते अपराध को देखते हुए बच्चों को आत्मरक्षा के गुर सिखाना बेहद जरूरी है। इसीलिए मैं अपनी बच्ची को कराते ट्रेनिंग दिलवा रहे हैं।