नई पहचान मिली
हथियारों और तकनीक की अच्छी जानकारी होने के कारण रमन्ना (65) के नाम के आगे टी जोड़ा गया था। यह नाम उसे स्पेशल जोनल कमेटी के शीर्ष माओवादियों द्वारा दी गई थी। उसे रवि और सुरेश के नाम से भी संगठन में पहचाना जाता है। वह मूल रूप से आंध्रप्रदेश के सिकंदराबाद का रहने वाला है। बताया जाता है कि शुरुआती दौर में उसे तेलंगाना के करीमनगर, आदिलाबाद और वांरगल जिले में विभिन्न जिम्मेदारी दी गई थी। इसके बाद 1990 में गढ़़चिरौली भेजा गया था।
विवाह रचाया
माओवादी गतिविधियों में शामिल रहने के दौरान ही गढ़चिरौली के अहेरी तहसील स्थित मांड्रा गांव में रहने वाली पद्मा उर्फ समक्का उर्फ मिनती डोबय्या कोड़ापे (५५) से पहचान हुई। इसके बाद दोनों ने विवाह रचा लिया था। संगठन को मजबूत करने के लिए रमन्ना को बालाघाट में उपकमांडर के पद पर पदोन्नत कर भेजा गया था। उसके काम करने के तरीके को देखते हुए छत्तीसगढ़ के कोंडागांव भेजा गया। वहां हथियारों के प्रशिक्षण की जिम्मेदारी उसे सौंपी गई थी।
गोपनीय जानकारी
डीआईजी बस्तर पी सुंदरराज ने कहा कि पूछताछ में रमन्ना से माओवादी संगठन सहित काफी गोपनीय और निजी जानकारियां मिली है। सुरक्षा कारणों को देखते हुए इसे उजागर नहीं किया जा सकता।