कलेक्टर ने पलायन श्रमिकों को किया वीडियो कॉल, कहा- घर आजा संगी वोट देहे बर
लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी सोशल मीडिया में अपने अनुभव साझा कर रहे हैं। पिछले दिनों रायपुर लोकसभा क्षेत्र के एक प्रत्याशी मनरेगा श्रमिकों के बीच पहुंचकर श्रमिक न्याय गारंटी योजना की जानकारी दी। वहीं कोरबा लोकसभा की एक प्रत्याशी ने सोशल मीडिया में अपना एक वीडियो साझा किया। इसमें वो अपनी कार से उतरकर महुआ बिनने वाली महिलाओं के बीच जाकर अपने पक्ष में प्रचार करती नजर आ रही थीं। सरगुजा का एक प्रत्याशी रविवार के दिन स्थानीय चौपाटी में पहुंचकर प्रचार किया तो एक प्रत्याशी ढोल बजाते नजर आया।
इसलिए हो रहा यह प्रयास
विधानसभा की तुलना में लोकसभा का क्षेत्र काफी बड़ा होता है। यदि छत्तीसगढ़ की बात करें तो 9 लोकसभा क्षेत्रों में आठ-आठ विधानसभा की सीट आती है। वहीं रायपुर और दुर्ग लोकसभा का क्षेत्र बाकी से थोड़ा बड़ा है। इन दोनों लोकसभा क्षेत्र में नौ-नौ विधानसभा की सीट शामिल हैं। जबकि क्षेत्र के हिसाब से प्रत्याशियों के पास प्रचार के लिए कम समय मिलता है। यही वजह है कि प्रत्याशियों को जहां मौका मिलता है, वो प्रचार में जुट जाते हैं।
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क्या बदल पाएंगे वोट में
प्रत्याशियों की यह रणनीति चुनाव में वोट बदलने में कितनी सफल होती है, यहां कहना अभी मुश्किल है, लेकिन शहरी क्षेत्र के मतदाता प्रत्याशियों के जतन से पूरी तरह संतुष्ट नहीं होते हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि शहरी क्षेत्र के मतदाताओं का मन बदलना आसान नहीं होता है। वो प्रत्याशी और पार्टी देकर अपना वोट पहले से तय कर लेते हैं। ठीक इसके विपरीत ग्रामीणों क्षेत्रों में इसका आंशिक असर होता है। दरअसल, मतदाताओं को भी यह बात अच्छे से पता है कि प्रत्याशियों के चुनाव जीतने के बाद वे बिना निमंत्रण ऐसे किसी भी स्थान पर नहीं जाएंगे। पांच साल तक मतदाताओं को ही उनके पास जाना होगा।