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रायपुर

जान जोखिम में डालकर जर्जर स्कूल भवन में विद्यार्थी पढऩे को मजबूर

लियाहारीपारा प्राथमिक शाला अति जर्जर और पुराने भवन में लगाया जा रहा है। 15 साल बीत गए लेकिन भवन आधा अधूरा पड़ा हुआ है। भवन में ना ही फ्लोरिंग की गई है और ना ही दीवारों में प्लास्टर हुई है। छत में लगाया गए छड़ में भी जंग लग चुका है। छत भी कमजोर हो गया है।

रायपुरAug 06, 2023 / 03:49 pm

Gulal Verma

जान जोखिम में डालकर जर्जर स्कूल भवन में विद्यार्थी पढऩे को मजबूर

जान जोखिम में डालकर जर्जर स्कूल भवन में विद्यार्थी पढऩे को मजबूर

देवभोग। स्कूल भवन जर्जर होने से देवभोग ब्लॉक के लियाहारी पारा के मासूम बच्चे डर के साए में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। शिक्षकों को भी डर सताता रहता है कि कहीं 15 वर्ष पुराने जर्जर भवन में कोई अनहोनी ना घट जाए।
यहां बताना लाजमी होगा कि अभी लियाहारीपारा प्राथमिक शाला अति जर्जर और पुराने भवन में लगाया जा रहा है। 15 साल बीत गए लेकिन भवन आधा अधूरा पड़ा हुआ है। भवन में ना ही फ्लोरिंग की गई है और ना ही दीवारों में प्लास्टर हुई है। छत में लगाया गए छड़ में भी जंग लग चुका है। छत भी कमजोर हो गया है।
मूल शाला भवन अति जर्जर
शाला के प्रधानपाठक रामेश्वर यदु ने बताया कि मूल शाला का भवन अति जर्जर स्थिति में है। उसके मरम्मत के लिए शासन स्तर से अभी एक लाख छह हजार रुपए की स्वीकृति मिली है, लेकिन भवन अति जर्जर होने के कारण स्वीकृत राशि के अनुपात में मरम्मत ना होना बताया जा रहा है। वहीं, संकुल समन्वयक कामसिंग ध्रुव ने बताया कि शाला का मूल भवन अति जर्जर है । हमने इसकी जानकारी उच्च अधिकारियों को दे दी है उन्होंने दूसरे जगह सरकारी भवन में बच्चों को बिठाकर पढ़ाने को कहा था। चूंकि यहां कोई दूसरा सरकारी भवन नहीं ह, ऐसी स्थिति में मजबूरीवश 15 साल पुराने भवन में बिठाकर पढ़ा रहे हैं।
अधिकारी गंभीर नहीं
गांव के लीलाकांत ध्रुवा और नरहरी यादव का कहना है कि अधिकारियों को सब कुछ पता है कि बच्चे अति जर्जर भवन में बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। इसकी जानकारी हमने भी अधिकारी वर्ग को दी है। फिर भी जिम्मेदार क्यों चुप्पी साधे बैठे है, यह एक बड़ा सवाल है।
बरसात में भी जर्जर भवन में होती है पढ़ाई
प्रधानपाठक ने भी माना कि 15 साल पुराने इस स्कूल भवन में शाला का संचालन करना किसी जोखिम से कम नहीं है। लेकिन यहां कोई दूसरा विकल्प नहीं हो पाने के कारण मजबूरीवश उसी भवन में बच्चों को बिठाकर पढ़ा रहे है। प्रधानपाठक के मुताबिक पिछले पांच साल से बरसात के मौसम में इसी भवन में शाला का संचालन किया जा रहा है।
वर्जन
उस स्कूल भवन के मरम्मत के लिए अभी राशि स्वीकृति हुई थी। उतनी राशि में वहां का काम हो पाना संभव नहीं है। हमने मामले को लेकर आरईएस विभाग से चर्चा की है। विभाग ने रिवाइज स्टीमेट बनाकर उच्च कार्यालय को भेजा है।
– देवनाथ बघेल, बीईओ, देवभोग

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