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मुख्यमंत्री यहीं नहीं रूके, उन्होंने कहा कि हमें लिखित सूचना मिलती कि जून से पहले कोई डोज नहीं मिलेगी, मगर अगले ही दिन 2 लाख डोज की आपूर्ति हो जाती है। कहते हैं कि 18 प्लस वालों के लिए वैक्सीन है, फिर कहते हैं कि नहीं 45 से आयुवर्ग वालों के लिए है। बता दें कि केंद्र की रिपोर्ट में राज्य में 30.2 प्रतिशत वैक्सीन वेस्टेज बताया गया है। सूत्रों के मुताबिक राज्य स्वास्थ्य विभाग ने इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद दोबारा से 27 मई को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को अपडेज डेटा भेजा है।वे हमारे एप को नहीं मान रहे
राज्य के 18 से 44 आयुवर्ग के नागरिकों के रजिस्ट्रेशन लिए सीजी टीका पोर्टल बनाया गया है। मुख्यमंत्री का कहना है कि केंद्र हमारे इस पोर्टल को मान्य नहीं रही है। इस वजह से भी वे आंकड़े अधिक बता रहे हैं।
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यूटिलाइजेशन फीचर से खड़ा हुआ पूरा विवाद
केंद्र सरकार ने वैक्सीन की बर्बादी का जो डेटा जारी किया है दरअसल उसके पीछे यूटिलाइजेशन फीचर वजह है। राज्य स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक 15-20 दिन पहले केंद्र सरकार ने रोजाना प्रत्येक टीकाकरण केंद्रों में टीकाकरण खत्म होने के बाद टीके के पूरे हिसाब-किताब के लिए इस फीचर को लागू किया ताकि उन्हें रोजाना की जानकारी सीधे केंद्रों के जरिए मिले।
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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की बस इतनी गलती थी कि उन्होंने 21 मई को राज्य द्वारा बताए जाने के बाद भी एंट्री यूटिलाइजेशन पोर्टल के डेटा को सही मानकर इसे सार्वजनिक कर दिया, राज्य से बात नहीं की। जबकि राज्य ने अपनी तरफ से स्पष्ट कर दिया था कि 30.2 प्रतिशत नहीं बल्कि 1 प्रतिशत से कम वैक्सीन की बर्बादी हुई है। (जैसा की पत्रिका को स्वास्थ्य विभाग के एक जिम्मेदार अधिकारी ने बताया।)