जेल डीजी राजीव मिश्रा ने मामले को गंभीरता से लेते हुए दोनों प्रहरियों को सस्पेंड कर दिया है। इसके अलावा मामले की जांच का जिम्मा जेल अधीक्षक को दिया गया है। पत्रिका ने खुलासा किया था कि पूर्व मंत्री डीपी धृतलहरे की बेटी नेहा मनहरे और नातिन पीहू के हत्या का आरोपी डॉ. आनंद राय को परिवार से मिलने की छूट दी गई थी। इसके अलावा उन्हें मोबाइल फोन और बाहर का खाना भी दिया गया था। दूसरे सजायाफ्ता बंदी पवन ङ्क्षसह को भी अस्पताल में मोबाइल और बाहर का खाना मुहैया कराया गया था। दोनों आरोपी पांच घंटे तक बिना हथकड़ी के अस्पताल परिसर में घूमते रहे।
जेल डीजी राजीव मिश्रा ने बताया कि जेल से इलाज के लिए अस्पताल में मोबाइल और बाहर के खाने की सुविधा देने वाले जेल के कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया है। आगे भी ऐसी लापरवाही करने वालों पर कार्रवाई जारी रहेगी।
बड़ा सवाल जेल के डॉक्टर नियमित रूप से कैसे कर रहे रेफर मामले में जेल डीजी ने सख्ती दिखाते हुए जेल अस्पताल से भी पूछताछ करने के निर्देश दिए है। यह जांच की जाएगी की आखिर नियमित रूप से हत्या के आरोपियों को अस्पताल जाने की छूट कैसे मिल रही थी। बता दें कि हर रोज गंभीर अपराध में जेल में बंद आरोपी जिला अस्पताल, आंबेडकर अस्पताल और डीकेएस में दिन-दिन भर डटे रहते हैं। कुछ माह पहले तक ईडी की गिरफ्त में आए कई आरोपी महीनों तक डीकेएस अस्पताल में वीआईपी रूम में मौज कर रहे थे। अब सरकार बदलने के बाद यह सुविधा बंद हुई है।
शेविंग किट भी पहुंच रही जेल! ‘पत्रिका’ ने जब ङ्क्षस्टग किया था तब आनंद राय शेेङ्क्षवग किट जेल ले जाने की फिराक में था। मामला उजागर होने के बाद वह अपनी योजना में सफल नहीं हो सका। ऐसे में सवाल यह उठाता है कि जेल की कड़ी सुरक्षा के बीच आखिर शेङ्क्षवग किट किस तरह जेल के भीतर पहुंच सकती थी।