राजधानी में
रथयात्रा का उत्सव पुरीधाम के तर्ज पर धूमधाम से मनाया जाता है। बहुतायत में ओडि़शा प्रांत के लोग छत्तीसगढ़ में निवासरत हैं। इसलिए उनके साथ ही राजधानी के लोग भक्ति और उत्साह से बड़ी संख्या में शामिल होते हैं। साथ ही उत्कल बस्तियों में उत्सव की धूम दिनभर रहेगी। रथ यात्रा का उत्सव पूजन 7 जुलाई को सुबह 7 बजे से मंदिरों में शुरू होकर दोपहर बाद भव्य रथयात्रा में आस्था का सैलाब निकलेगा। प्राचीन मंदिर पुरानी बस्ती टूरी हटरी, सदरबाजार और गायत्रीनगर मंदिर में भगवान के रथ आकर्षक ढंग से तैयार हैं। रथयात्रा के दौरान गजामूंग का प्रसाद भक्तों के बीच वितरित करते हुए भगवान का रथ आगे बढ़ेगा।
Jagannath Rath Yatra 2024: गायत्रीनगर मंदिर में राज्यपाल और मुख्यमंत्री करेंगे पूजा
गायत्री नगर मंदिर में प्रदेश के प्रथम नागरिक के रूप में राज्यपाल विश्वभूषण हरिश्चंदन भगवान की आरती-पूजा करेंगे और सोने की झाडू से भगवान के रास्ते को बोहारने की रस्म अदा करेंगे। इस मौके पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सहित प्रदेश एवं अन्य प्रदेश से आए जनप्रतिनिधि शामिल रहेंगे।
मंदिर समिति के अध्यक्ष विधायक पुरंदर मिश्रा ने बताया कि सुबह 7 से 10 बजे तक विशेष पूजा अर्चना, अभिषेक एवं हवन होगा। 11.15 से हवन होगा। 11.30 बजे राज्यपाल और मुख्यमंत्री पहुंचेंगे। पूजा-अर्चना कर जगन्नाथ स्वामी, बलभद्र एवं सुभद्रा की मूर्ति को रथ पर विराजमान कराएंगे। रथयात्रा बीटीआई मैदान शंकर नगर तक निकलेगी। मंदिर परिसर में भगवान के मौसी के घर बनाया गया है।
Jagannath Rath Yatra 2024: सदरबाजार से टिकरापारा और पुरानी बस्ती से पुजारीबाड़ा
प्राचीन सदरबाजार मंदिर से रथयात्रा निकलकर टिकरापारा जाएगी और पुरानी बस्ती टूरी हटरी से पुजारीबाड़ा के लिए निकलेंगी। इन दोनों जगहों पर भगवान के मौसी का घर बनाया गया है, जहां भगवान की सुबह-शाम पूजा-आरती 8 दिनों तक होगी, फिर वापसी रथयात्रा मंदिरों के लिए निकलेगी।
Jagannath Rath Yatra 2024: 500 साल पुराना है टूरी-हूटरी स्थित मंदिर
टूरी-हटरी, पुरानी बस्ती के जगन्नाथ मंदिर को साहूकार मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर में भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा स्थापित होने के बाद भी इसे जगन्नाथ मंदिर के रूप में पहचान नहीं मिली। इस मंदिर का इतिहास लगभग 500 साल पुराना है। मंदिर का निर्माण अग्रवाल परिवार ने कराया था। अंग्रेजों के शासन काल में एक अग्रवाल साहूकार ने इस मंदिर का विस्तार किया गया। टूरी-हटरी में स्थापित महाप्रभु की प्रतिमा पुरी में स्थापित प्रतिमा के ही समान है। मान्यता है कि मंदिर में स्थापित भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र की प्रतिमाएं पुरी से लाई गईं थीं।