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रायपुर

International Tiger Day 2021: छत्तीसगढ़ के जंगलों से 27 बाघ गायब, वन विभाग ने बताया राज्य में बचे हैं इतने बाघ

International Tiger Day 2021: कभी राज्य के जंगल में बिंदास घूमने वाले बाघ अब यहां गिनती के ही बचे हैं। हैरानी की बात है कि जंगलों से ज्यादा बाघ अब प्रदेश के चिडिय़ाघरों में हैं। बता दें कि राज्य के जंगलों से पिछले 7 वर्ष में 27 बाघ गायब हो गए।

रायपुरJul 29, 2021 / 10:31 am

Ashish Gupta

International Tiger Day 2021

Srivilliputhur Megamalai Tiger Reserve in TN approved

रायपुर. International Tiger Day 2021: कभी राज्य के जंगल में बिंदास घूमने वाले बाघ अब यहां गिनती के ही बचे हैं। हैरानी की बात है कि जंगलों से ज्यादा बाघ अब प्रदेश के चिड़ियाघरों में हैं। बता दें कि राज्य के जंगलों से पिछले 7 वर्ष में 27 बाघ गायब हो गए। 2014 की गणना में कुल 46 बाघ होने का दावा वन विभाग ने किया था। लेकिन इसकी पोल 2018 में हुई गणना में खुल गई। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority) को भेजी गई रिपोर्ट में वन विभाग ने मात्र 19 बाघ होने कही थी।
जबकि राज्य सरकार द्वारा 2019-2020 के दौरान बाघों का संरक्षण करने के लिए प्रोजेक्ट टाइगर योजना के तहत 13.86 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इसके बाद भी पिछले 3 वर्षों में बाघों की संख्या नहीं बढ़ी। जबकि इससे कहीं अधिक प्रदेश के तीन चिड़ियाघर में 36 बाघ हैं। बता दें कि 2010 से पूरे विश्व में टाइगर डे (Tiger Day) की शुरूआत की गई थी। साल 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में बाघ सम्मेलन में बाघों के संरक्षण के लिए प्रतिवर्ष 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने का फैसला लिया गया था।
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चौथे टाइगर रिजर्व की तैयारी
राज्य में गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला अभयारण्य को मिलाकर नया टाइगर रिजर्व बनाया जाएगा। इसे मध्यप्रदेश के संजय डुबरी टाइगर रिजर्व से सटे गुरु घासीदास नेशनल पार्क एवं तमोर पिंगला अभयारण्य के 2829 वर्ग किलोमीटर में बनाया जाएगा। इसे बाघों के अनुकूल बनाने 26 करोड़ 80 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। बता दें कि छत्तीसगढ़ में अचानकमार, सीतानदी-उदंती और इंद्रावती टाइगर रिजर्व के बाद चौथा टाइगर रिजर्व बनाने की तैयारी चल रही है।

21 वर्ष में 30 बाघों का शिकार
राज्य में पिछले 21 वर्ष में 30 बाघों का शिकार और 27 की खाल मिली है। वन विभाग द्वारा इसके अधिकारिक रूप से प्रकरण भी दर्ज किए गए हैं। वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने बताया कि वर्ष 2010 और 2011 के मध्य छत्तीसगढ़ में 3 बाघों का शिकार हुआ था। इसके बाद उन्होंने आरटीआई के तहत जानकारी निकाल कर जनहित याचिका दायर की।

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इसके बाद वन विभाग ने रैपिड रेस्क्यू टीम का गठित की। साथ ही कोर्ट को बताया था कि वन विभाग में 240 बीट गार्ड की कमी है। जिसके पश्चात कोर्ट में बीट गार्ड भर्ती के आदेश दिए और वन विभाग में भर्ती की। अचानकमार टाइगर रिजर्व में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत बनाए जा रहे मकानों के निर्माण में रोक लगा दी गई थी।
वेबिनार का आयोजन, वन विभाग के अफसर ही नहीं हुए शामिल
छत्तीसगढ़ में पहली बार फॉरेंसिक विज्ञान के महत्व को लेकर राष्ट्रीय स्तरीय वेबिनार का आयोजन किया गया था। बाघों के संरक्षण, बाघों और अन्य वन्य प्राणियों के शिकार पर कोर्ट ट्रायल में साक्ष्य एंव फॉरेंसिक साइंस के अभियोजन को लेकर चर्चा की गई। इस दौरान बाघों एवं अन्य वन्य प्राणियों के शिकार होने पर सैंपल इकठ्ठा करने एवं गलत तरीके से साक्ष्य इकक्ठा करने से अभियोजन पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चर्चा की गई।
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लेकिन हैरत वाली बात है कि इसमें वन विभाग के अफसर ही शामिल नहीं हुए। संरक्षण और संवर्धन के प्रयास पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ पीवी नरसिंह राव ने बताया कि बाघ के संवर्धन के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए दूसरे राज्य से बाघ को लाने के बाद उनके कुनबा बढ़ाने के लिए क्रॉस ब्रीड कराने की योजना पर काम किया जा रहा है।
राकेश टेंभुकर की रिपोर्ट

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