क्यों होता है फायदेमंद
इसमें ऐसे गुण मौजूद होते हैं जिनसे प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है। यह रोगों से लड़ने की शक्ति में सुधार करता है, जैसे शॉर्ट, चेन फैटी एसिड बूटी रेट, आंत में नियंत्रक टी सेल्स के उत्पादन को बढ़ावा दे सकता है। यह एंटी इन्फलामेटरी केमिकल मैसेंजर साइटोकाइन का उत्पादन बढ़ाते हैं जो सूजन को कम करते हैं।
स्टडीज में भी प्रमाणित
80 स्वस्थ बुजुर्गों पर हुई एक 12 सप्ताह की एक स्टडी में सामने आया है कि पोस्टबायोटिक सप्लीमेंट्स के उपयोग से उनमें श्वसन संबंधी संक्रमण का जोखिम कम हुआ और एंटीबॉडी उत्पादन बढ़ा।
डायरिया का बचाव व इलाज
एक स्टडीज के रिव्यु में यह बात सामने आई है कि पोस्टबायोटीक सप्लीमेंट्स के इस्तेमाल से डायरिया की अवधि कम हुई है और यह डायरिया सहित फैरिंजाइटिस व लैरिंजाइटिस के अन्य उपचारों के मुकाबले अधिक कारगर रहे हैं।
अन्य समस्याओं में भी प्रभावी
एलर्जी, वेट लॉस, डायबिटीज, हृदय रोग, ब्लड शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव जैसे रोगों व समस्याओं और कैंसर सेल्स के उत्पादन व इनकी वृद्धि को रोकने व दबाने का काम भी पोस्टबायोटिक्स करते हैं।
अभी कम चलन में है
पोस्टबायोटिक्स शब्द अभी अपने आप में नया है और इससे संबंधित उत्पाद बाजार में कहीं-कहीं ही मिल रहे हैं। इन्हें ऑनलाइन भी मंगवाया जा सकता है। गुणवत्ता युक्त आहार और सप्लीमेंट्स का उपयोग शरीर के लिए प्रभावी औषधि का काम करता है। भोजन में फाइबर जरूर लें।
क्या है पोस्टबायोटिक्स
शॉर्ट चेन फैटी एसिड, लिपॉपॉलिसैकेराइड, एक्सोपॉलिसैकेराइड, एंजाइम, कोशिका भित्ति के टुकड़े, कोशिका मुक्त सुपरनैटेंटस, विटामिन व अमीनो अम्ल जैसे अन्य मेटाबोलाइट्स आदि पोस्टबायोटिक्स है।
फाइबर युक्त भोजन लें
फाइबर युक्त भोजन से प्रोबायोटिक बैक्टीरिया के लिए उच्च गुणवत्ता के पोस्ट बायोटिक तत्व बनता है। अतः हरी पत्तेदार सब्जियां, मौसमी फल, मौसम फल, मौसम आधारित भोजन, छाछ आदि आहार में लें।