छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल डेवलपमेंट अथॉरिटी के प्लांट की स्थापना में 50 लाख रुपए खर्च किया गया था। बायोफ्यूल विकास प्राधिकरण प्रभारी सुमित सरकार का कहना है कि 12 साल में साढ़े 4 लाख लीटर बायोडीजल का निर्माण किया गया है। सिर्फ पौधों को लगाने पर किए गए खर्च के आंकड़ों पर गौर करें तो 9 हजार 2 सौ 46 रुपए 90 पैसा खर्च करके एक लीटर बायोडीजल का निर्माण किया गया। अथॉरिटी द्वारा 1 लीटर बायोफ्यूल की बिक्री दर 63 रुपए है। विभागीय सूत्रों की माने तो पूरे प्रोजेक्ट मंे 2005 से अब तक 5 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं।
2006 से ही रोप रहें हैं पौधे: शासन के विभागों ने 2006 से अब तक 27 करोड़ 74 लाख 7 हजार रतनजोत के पौधे लगाए। संरक्षण के अभाव में जिस एक पौधे के बीज से तीन साल तक बायोडीजल बनाया जा सकता था। उससे एक बार भी फसल नहीं मिली।
रेलवे ने खींचा हाथ, कंपनियां भी भागी
रतनजोत को बढ़ावा देने के लिए रेलवे से राज्य सरकार ने हाथ मिलाया था। इसके बाद रेल लाइन के किनारे खाली पड़ी जमीन पर लाखों की तादाद में पौधे रोपे गए। अधिकतर पौधे मर गए। रेलवे को इनसे बायोडीजल भी नहीं मिला। रेलवे भी इस प्रोजेक्ट से पीछे हट गया।
कैग रिपोर्ट में करोड़ों का भ्रष्टाचार
कैग ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि शासन द्वारा जो रतन जोत के पौधों के रोपण की जानकारी दी थी, उसके उत्पादन का 5 प्रतिशत भी नहीं मिल पाया। महासमुंद इलाके से 50 किलोग्राम बीज निकला था।
इसमें कैग ने पांच करोड़ रुपये की गड़बड़ी पाई। दुर्ग के कोडि़या मे मुख्यमंत्री के साथ हजारों स्कूली छात्रों ने लाखों पौधे रोपे, लेकिन अब यहां खाली मैदान ही हैं। यहां से एक किलो बीज भी एकत्रित नहीं हो पाया। आरटीआइ कार्यकर्ता शेष नारायण शर्मा ने आरटीआइ के जरिए प्रोजेक्ट पर किए गए व्यय की जानकारी हासिल की।
सीबीडीए के प्रोजेक्ट प्रभारी सुमित सरकार ने कहा कि प्रोजेक्ट और रिसर्च में तेजी आई है। अब हम प्रायोगिक स्तर से ऊपर उठ रहे हैं। हमारे द्वारा बनाए गए फ्यूल से अब सेना के विमान उड़ाने के लिए रिसर्च चल रहा है।