Ganesh Utsav 2024: युवाओं का कहना है कि प्रथम पूज्य जीवन में कई अच्छी बातों की सीख देते हैं। वे जहां माता-पिता और रिश्तों के लिए समर्पण का भाव रखने की सीख देते हैं, वहीं आत्मसम्मान और परिवार की रक्षा करने की हिम्मत भी प्रदान करते हैं। गणेश चतुर्थी के मौके भी आइए जानते हैं लंबोदर से मिलने वाली ऐसी ही सीख, जो युवाओं की पथप्रदर्शक बनती है। इस संबंध में हमने कुछ युवाओं और लाइफ कोच से भी बात की और जाना कि बप्पा से हम क्या सीख सकते हैं और उनकी बातें कितनी प्रेरक हैं।
आप सर्वश्रेष्ठ है
सीख: गणपति का शीर्ष हाथी का है। ईश्वर ने जो रंग-रूप और काया दी है, उसका सम्मान करें। लोगों की बातों को अनदेखा कर खुद पर फोकस करें। रिश्तों को सम्मान
सीख: माता-पिता में सम्पूर्ण ब्रह्मांड देखने की सीख गणपति से लेने की आवश्यकता है। भाई और बहन पर आए संकट से निपटने का दायित्व भी लंबोदर से सीखा जा सकता है।
कर्तव्यनिष्ठा का भाव
सीख: गजानन अपने काम को लेकर कर्तव्यनिष्ठ थे। उन्हें जो छोटा या बड़ा काम दिया जाता था, वे अपने मूसक दोस्तों के साथ अति उत्साह से करते थे। यह सीख युवाओं को भी जीवन में अपनाने की जरूरत है।
वचनबद्ध और स्वाभिमानी
सीख: लंबोदर के जीवन से वचनबद्ध रहने और अपने स्वाभिमान के लिए डटे रहने की सीख लेने चाहिए। उन्होंने मां की आज्ञानुसार पहरेदारी करते हुए अपना शीष गंवा दिया था ऐसे में यदि कोई वादा आपने लिया है तो उसे हर हाल में पूरा करने की क्षमता आपने होनी चाहिए। लाइफ कोच प्रज्ञा त्रिवेदी ने कहा कि पृथ्वी की परिक्रमा की बात आई तो गणेशजी ने माता-पिता की परिक्रमा कर ली। इससे उनकी बुद्धिमता का पता चलता है साथ ही मातृ पितृ भक्ति और टाइम मैनेजमेंट भी। कम समय में लॉजिक के साथ टास्क कैसे पूरे किए जाए। इसी तरह मां पार्वती के स्नान के समय द्वार पर उन्होंने भगवान शिव तक को रोक दिया था इससे ये सीख मिलती है कि अनुशासन और नियम सबके लिए हैं उस पर अडिग रहें।
लॉ स्टूडेंट, मुुस्कान ने कहा कि एकाग्रता का पाठ सीखने के लिए गणेश जी से बेहतर कौन हो सकता है। वे अपने बड़े पेट के बावजूद हर मुश्किल परिस्थिति में भी कभी धैर्य नहीं खोते थे और अपने कार्य के लिए एकाग्र होते थे। गणेशजी हमें सिखाते हैं कि दृढ़ निश्चय और एकाग्रता से हम किसी भी चुनौती को पार कर सकते हैं। बप्पा से हमें सीख मिलती है कि मां-बाप से बढ़कर कोई तीर्थ नहीं हैं। हम उनकी सेवा कर लें यही बड़ी बात होगी। गणेशोत्सव में हमारा शहर भक्तिमय हो जाता है।