थैलेसिमिया पीडि़तों में रक्त अल्पता दूर करने करने उन्हें बार-बार ब्लड-ट्रांसफ्यूजन की जरूरत पड़ती है। राज्य शासन ने पीडि़तों की इस जरूरत को देखते हुए डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के अंतर्गत सभी पंजीकृत अस्पतालों में नि:शुल्क ब्लड-ट्रांसफ्यूजन की व्यवस्था की है। थैलेसिमिया सोसाइटी के सहयोग से प्रदेश के करीब साढ़े तीन सौ मरीजों का विभिन्न जिलों में पंजीयन कर उन्हें नि:शुल्क जांच, उपचार एवं दवाईयां उपलब्ध कराई जा रही है।
कोविड-19 के चलते लागू देशव्यापी लॉक-डाउन में भी इसके गंभीर मरीजों की जरूरत का संवेदनशीलता से ख्याल रखा जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव की पहल पर हाल ही में कोरिया जिले से एम्बुलेंस द्वारा 16 वर्षीय थैलेसिमिया पीडि़त को रायपुर के डीकेएस अस्पताल लाकर इलाज कराया गया है। शासकीय अस्पतालों में सुविधा नहीं होने के कारण थैलेसिमिया पीडि़त दो गर्भवती महिलाओं का सीवीएस टेस्ट (CVS – Chorionic Villus Sampling Test) निजी अस्पताल में शासन द्वारा कराया गया है।
थैलेसिमिया रोग बच्चों को माता-पिता से आनुवांशिक तौर पर मिलने वाला रक्त विकार है। इसमें शरीर की हीमोग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया में विभिन्नता आ जाती है जिसके कारण खून की कमी के लक्षण प्रकट होते हैं। इससे रोगी बच्चे के शरीर में रक्त अल्पता होने लगती है और उन्हें बार-बार ब्लड-ट्रांसफ्यूजन की जरूरत पड़ती है। मेजर थैलेसिमिया मरीज और माइनर थैलेसिमिया ट्रेट के रूप में थैलेसिमिया के पीडि़तों को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है। मेजर थैलेसिमिया मरीजों को ही इलाज की जरूरत होती है। दोनों ही तरह के मरीजों का विवाह पूर्व परामर्श आवश्यक है।