scriptबड़ा खुलासा : पूर्व मंत्री की पत्नी ने 4 लाख रुपए और 25 हजार रुपए स्टाम्प ड्यूटी लेकर दे दी जमीन, हाईकोर्ट ने दिया भवन की सील खोलने का आदेश | Former minister's wife gave land taking 4 lakh25 thousand stamp duty | Patrika News
रायपुर

बड़ा खुलासा : पूर्व मंत्री की पत्नी ने 4 लाख रुपए और 25 हजार रुपए स्टाम्प ड्यूटी लेकर दे दी जमीन, हाईकोर्ट ने दिया भवन की सील खोलने का आदेश

Chhattisgarh Politics : पूर्व मंत्री शिव डहरिया की पत्नी शकुन डहरिया की संस्था राजश्री सदभावना समिति वाले भवन और कब्जे वाली जमीन को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है।

रायपुरMar 01, 2024 / 09:53 am

Kanakdurga jha

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CG Politics : पूर्व मंत्री शिव डहरिया की पत्नी शकुन डहरिया की संस्था राजश्री सदभावना समिति वाले भवन और कब्जे वाली जमीन को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। समिति ने उक्त भूमि को निजी बताया है। पंजीयन विभाग के विक्रय विलेख में खुलासा हो रहा है कि साल 2022 में केंद्रीय कर्मचारी गृह निर्माण समिति मर्यादित ने राजश्री सदभावना समिति और अध्यक्ष शकुन डहरिया को सिर्फ 4 लाख रुपए कीमत और 25 हजार रुपए स्टाम्प ड्यूटी पर दे दी।
इसकी रजिस्ट्री समिति के अध्यक्ष सीएस ठाकुर ने कराई। चौंकाने वाली बता यह है कि जब समिति की निजी जमीन थी तो उसका हस्तांतरण मेयर इन काउंसिल से करवाने की जरूरी क्यों पड़ी। इस भवन में तकरीबन दो करोड़ की मशीनरी सरकारी राशि से किसके आदेश से लगाया गया। बता दें कि पूर्व मंत्री शिव डहरिया ने खुद बयान दिया था कि मेयर इन काउंसिल से स्वीकृत हुआ था। जोन-10 के आयुक्त ने खुद कहा था कि इस पर साढ़े तीन करोड़ रुपए खर्च किेए गए हैं। पत्रिका के पास एमआईसी से 16 जून को जारी किया गया पत्र है, जिसमें 3500 वर्ग फीट आवंटन का जिक्र है। जबकि, कब्जा 15000 वर्गफीट में किया गया है। इसके अलावा निगम ने निजी संस्था के लिए 3 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। चौंकाने वाली बात यह है कि 24 मार्च 2022 को रजिस्ट्री हुई है तो तीन माह बाद खुद की जमीन के आवंटन के लिए एमआईसी में प्रस्ताव भेजना संदेह का विषय है।
हाईकोर्ट से भवन की सील खोलने का आदेश
नगर निगम द्वारा राजश्री सदभावना समिति को आवंटित भवन के मामले में समिति ने हाईकोर्ट की शरण ली थी, जिसके बाद न्यायालय ने नगर निगम को सील किए गए भवन का ताला खोलने का आदेश दिया है। आवंटन और पूरे प्रकरण पर आगे 13 मार्च को सुनवाई की जाएगी।
कई अनसुलझे सवाल:-
सवाल-1 – आरोप है कि निर्माण और कब्जा अटल आवास, ईडब्लूएस की जमीन पर है। सवाल है कि जिस जगह अटल आवास के मकान थे उस जमीन को सोसायटी कैसे बेच सकती है?
सवाल-2 – अगर जमीन सोसायटी की थी, तो पूर्व मंत्री शिव डहरिया ने खुद क्यों कहा की समिति को एमआईसी से आबंटित हुई थी?
सवाल-3 – अगर भवन निजी जमीन पर बना है तो इस पर नगर निगम ने करोड़ों रुपए कैसे खर्च कर दिए?
सवाल-4 – 16 जून 2022 को महापौर ढेबर की मेयर इन काउंसिल में जमीन को राजश्री सदभावना समिति को 3500 वर्ग फीट जमीन आबंटित करने का प्रस्ताव लाया गया, अगर जमीन निजी थी को प्रस्ताव एमआईसी में क्यों आया?
सवाल-5 – 7 नवंबर और 20 दिसंबर 2022 को निगम से अशोका मिलेनियम स्थित ए एंड ए वेंचर्स से सोनी की 75 इंच की टीवी, वॉशिंग मशीन, दर्जन भर अलमारियां समेत लगभग 30 लाख रुपए के होम एप्लायंसेस खरीदने की निविदा को स्वीकृति दी गई। यह जमीन निजी तो निगम ने यहां क्यों लाखों रुपए का सामान क्यों लगवाया?
सवाल-6 – भवन और सरकारी जमीन परिसर सील करने के साथ ही आयुक्त ने कहा कि यहां साढ़े तीन करोड़ रुपए खर्च किए गए, निजी संस्था की संपत्ति पर इतनी बड़ी राशि कैसे खर्च की गई, और किस मद से इसे सेंशन किया गया?
सवाल-7 – अगर शकुन डहरिया ने सोसायटी से 3500 वर्ग फीट जमीन खरीदी भी तो लगभग 12 हजार वर्ग फीट जमीन पर बीस फीट ऊंची दीवारें उठाकर आम लोगों के लिए आवाजाही बंद क्यों की गई?
सवाल-8 – कब्जे वाले परिसर में लगा बिजली विभाग का ट्रांसफार्मर किसके आदेश पर बंद किया गया?
सवाल- 9 – अगर जमीन राजश्री सदभावना समिति की थी तो निगम के नोटिस पर कब्जा क्यों खाली किया गया, इसका विरोध क्यों नहीं किया गया।
सवाल-10 – सभी दस्तावेजों में निगम ने करोड़ों रुपए का सामान सामुदायिक भवन के नाम पर सेंशन किया जबकि भवन पूरी तरह अंदर और बंगले के रुपए में बनाया गया है।

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