Health News : फीवर उतरने के हफ्ते-डेढ़ हफ्ते बाद तक शरीर में कमजोरी रहना। ठीक होने के बाद फीवर रिपीट होना। आंबेडकर अस्पताल का मेडिसिन विभाग फिलहाल मरीजों की ऐसी ही शिकायतों से संशय में है। डॉक्टर भी पहली नजर में ये तय नहीं कर पा रहे हैं कि मरीज को वायरल फीवर है या डेंगू?
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शादीशुदा महिला साथ में रहने का बना रही थी दबाव, छुटकारा पाने प्रेमी ने कर दी हत्या…कैमरे में कैद हुई वारदात आंबेडकर अस्पताल में मेडिसिन विभाग के डॉ. आरएल खरे ने बताया, इस भ्रम का दूसरा कारण रैपिड किट भी है। दरअसल, रैपिड किट के नतीजे सटीक नहीं आते। लेकिन, एलाइजा टेस्ट कराने पर डेंगू निकलता है। यही वजह है कि 3 दिनों में दवा के असर न करने पर डॉक्टर मरीजों को एलाइजा टेस्ट करवाने की सलाह दे रहे हैं। इधर, अस्पतालों के साथ पैथालॉजी में भी लोगों की भीड़ बढ़ने लगी है। लोग खुद होकर भी जांच करवाने जा रहे हैं।
डेंगू व सामान्य वायरल में अंतर, जानिए…
– डेंगू में तेज बुखार होता है। इसे ब्रेक बोन फीवर कहते हैं। जबकि, वायरल फीवर में तेज बुखार नहीं आता। – डेंगू होने पर मरीजों की स्किन पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं, जबकि वायरल फीवर में ऐसा नहीं होता है।
– डेंगू में प्लेटलेट काउंट तेजी से गिरता है, जबकि वायरल फीवर में इस पर असर नहीं पड़ता। – डेंगू होने पर कई लोगों में ब्लड प्रेशर लो होने की समस्या देखी गई है। वायरल फीवर में ऐसा नहीं है।
– डेंगू में उल्टी और पेट दर्द से लीवर पर भी असर होता है। वायरल फीवर में ऐसी कोई समस्या नहीं होती। यह भी पढ़ें :
वाटरफॉल घुमाने ले गई शिक्षिका से सामूहिक बलात्कार, आरोपियों में युवक कांग्रेसी नेता भी शामिल एलाइजा टेस्ट का रेट 500 से 700 रु. तक बढ़ा महीनेभर पहले तक निजी लैब्स में एलाइजा टेस्ट की कीमत 1100 से 3800 रुपए थी। पत्रिका की पड़ताल में पता चला कि डेंगू फैलने के बाद जांच की कीमत 1600 रुपए से 4500 रुपए तक पहुंच गई है। इधर, सरकारी तंत्र का दावा है कि रायपुर में 4 मरीज इसलिए सामने आए क्योंकि यहां प्रदेश के दूसरे इलाकों से भी लोग इलाज के लिए पहुंचते हैं। हकीकत ये है कि सरकारी के अलावा निजी अस्पतालों में भी मरीज तेजी से बढ़े हैं। सोमवार को गुढ़ियारी में 2 लोग डेंगू पीड़ित पाए गए।
अभी डेंगू का सीजन है। सितंबर में इस तरह केस आते रहेंगे। लोगों को चाहिए कि वे सतर्क रहें। डेंगू का मच्छर साफ पानी में पनपता है। दिन में काटता है। डेंगू 2 प्रकार के होते हैं। नॉर्मल डेंगू में प्लेटलेट काउंट नॉर्मल हो सकता है। प्लेटलेट काउंट अगर 1 लाख से कम होने लगे तो सतर्क होने की जरूरत है।
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शौच के बहाने जेल प्रहरियों को धक्का देकर मेडिकल कालेज अस्पताल से फरार शातिर चोर कल्लू कबाड़ी गिरफ्तार 40 हजार से कम होना चिंताजनक है। सरकार ने आपात स्थिति से निपटने निशुल्क जांच, मरीजों को मेडिकल कॉलेज रेफर करने का इंतजाम किया है। हाई रिस्क ग्रुप यानी बीपी-शुगर, हार्ट, लंग्स के मरीजों के अलावा बुजुर्गों के इलाज के लिए खास व्यवस्था की गई है। एम्स व मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर सरकारी और निजी डॉक्टरों को इलाज की ट्रेनिंग दे रहे हैं।
– डॉ. सुभाष मिश्रा, संचालक, महामारी नियंत्रण