पुलिस ने बताया कि रायपुर के वीर सावरकर नगर में रहने वाली आशा प्रजापति ने शिकायत की थी। अप्रैल 2019 में अखिलेश यादव उसके पड़ोस में रहने आया था। शातिर ठग खुद को रेलवे का टीटीई और अपने पिता सीताराम को मुंबई पुलिस का आईजी बताता था।
आशा अपने बेटे संदीप प्रजापति की नौकरी के लिए परेशान थी। 10 अप्रैल को अखिलेश ने घर आकर प्रजापति दंपति को यह कह कर झांसे में लिया कि उसकी रेलवे में उसकी अच्छी पकड़ है। कई लोगों की ग्रुप डी में नौकरी लगवा चुका है, उसने रेलवे का अपना फर्जी आईडी कार्ड प्रजापति दंपति को दिखाया तो वे झांसे में आ गए।
अखिलेश ने बताया कि 4 लड़कों की एक साथ रेलवे में नौकरी लगवा दूंगा। इस बीच पड़ोसी हीरालाल प्रजापति का बेटा विजय कुमार प्रजापति भी घर आया था। 7 मई को विजय के सामने अखिलेश को आशा ने 40 हजार रुपए दिए। दूसरे दिन आशा का भतीजा दीपक प्रजापति का दोस्त असलम अंसारी और विजय प्रजापति आशा के घर आए। दोनों अखिलेश से मिले। उन्हें अखिलेश ने पांच-पांच लाख रुपए देने पर नौकरी लगाने का झांसा दिया।
आशा समेत अन्य बेरोजगार युवकों ने अखिलेश से पैसे का इंतजाम करने का समय मांगा तो उसने 1 महीने का समय देकर मेडिकल कराने के समय पैसे देने को कहा।
दिल्ली में कराया बेरोजगारों का मेडिकल
25 मई को चारों बेरोजगारों को अखिलेश साथ लेकर वापस रायपुर लौटा। उनकी उसने दसवीं, बारहवीं की अंकसूची, जाति, निवास प्रमाण पत्र आदि दस्तावेज की फोटो कॉपी ले ली। 18 जून को अखिलेश के घर आशा अपने बेटे और उसके तीनों दोस्तों के साथ गई। वहां पर सभी ने 25-25 हजार रुपए फिर दिए। आशा ने कुल 65 हजार रुपए नकद दिए थे। पैसे कम पडऩे पर अखिलेश ने योगेंद्र प्रजापति के नाम से बुलेट फाइनेंस कराया।
बुलेट अखिलेश ने अपने पास रखी है जिसकी किस्त आशा भर्ती है। अखिलेश ने विजय प्रजापति से 1 लाख 95 हजार रुपए, दीपक प्रजापति से 1 लाख 40 हजार रुपए, असलम अंसारी से 1 लाख 40 हजार रुपए ठगे। इसके अलावा सैकड़ों लोगों से पैसे ठगे।