Cyber Crime : झांसा देने में ठगों की टोली का बड़ा हाथ, नौकरी देने के बहाने स्टूडेंट से लुटे लाखों रुपए
कुदरत ने हमें भरपूर संसाधन दिए, तो उनका उपभोग करने की मर्यादा भी। लेकिन इंसान ने लालसा के चलते इन मर्यादाओं का उल्लंघन किया। इसी का नतीजा है कि आज कई तरह की मुश्किलें सामने आ खड़ी हुई। उन जनजातियों का उदाहरण देखें, जो प्रकृति के हर उपकार को पूरे आदर से स्वीकारती हैं। वहां जीवन खुशहाल है। (CG Raipur News) पर्यावरण को संरक्षित करना किसी एक की जिम्मेदारी नहीं है। इसके लिए हर व्यक्ति, समाज, संगठन और सरकारों को मिलकर काम करना होगा।Bijapur Naxal Attack : IED ब्लास्ट से घायल जवानों की हालत गंभीर,एयरलिफ्ट कर भेजा रायपुर
वर्तमान स्थिति में पृथ्वी पर जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न समस्याओं जंगली जानवरों का सिंब एवं उसके दुष्परिणामों के बारे में हम सभी भली-भांति परिचित हैं। बनाकर रखते थे, अब प्रथा ल विश्व पर्यावरण दिवस 2023 की थीम ‘इकोसिस्टम रीस्टोरेशन- भूलने लगे है। महासमुंद इमेजिन, रीक्रिएट, रीस्टोर है। (Raipur News Today) अर्थातपुनर्कल्पना, पुनर्निर्माण लचकेरा में 2000 कर एवं पुनर्स्थापना । इसका अर्थ “पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली, सायबेरियन पक्षी का घोसला नवीन परिकल्पना, पुनर्निर्माण पुनस्र्थापित करना है।आजकल मीडिया-सोशल मीडिया में सिर्फ एक ही बात कही जाती है कि वन्यप्राणी शहर की ओर आ रहे है। ऐसी बातों को बदलने की जरूरत है। हम जंगल की ओर जा रहे है, न कि बाघ, हाथी व तेंदुआ हमारी ओर आ रहे। जनजाति के लोग जंगली जानवरों का ङ्क्षसबाल बनाकर रखते थे, अब प्रथा लोग भूलने लगे है। महासमुंद के लचकेरा में 2000 करीब सायबेरियन पक्षी का घोसला हर वर्ष बनते है। यहां के ग्रामीण किसी भी पक्षी को कोई नुकसान नहीं पहुचाते है।
हजारों घरों के नलों में पानी की धार पतली, निगम के सामने 7 घंटे तक मटका फोड़ प्रदर्शन
वन्यप्राणियों के संरक्षण के लिए सभी लोगों को एकजुट होकर कार्य करने की जरूरत है। इसके अलावा पीपल के ज्यादा से ज्यादा रोपने की आवश्यकता है। ऐसे ही वन संसाधन अधिकार के तहत जंगल में हो रहे अतिक्रमण को रोका जा सकता है। (Chhattisgarh News) वर्ष 2008 में वन अधिकार अधिनियम लागू हुआ। कानूनी रूप से वन भूमि को धारण करने विशेष रूप से जिसे इन समुदायों ने खेती और निवास के लिए उपयोग किया है, वन संसाधनों के उपयोग, प्रबंधन तथा संरक्षण के अधिकार को मान्यता प्रदान करता है। इसके साथ वनों की स्थिरता और जैव विविधता के संरक्षण में वनवासियों की अभिन्न भूमिका को भी रेखांकित करता है। राष्ट्रीय उद्यानों, अभयारण्यों और बाघ अभयारण्यों जैसे संरक्षित वनों के अंदर इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है।