बार-बार बदलती रही जनसुनवाई की तारीख मास्टर प्लान की जनसुनवाई के लिए विभाग बार-बार तारीख बदलता रहा। हर बार लोगों की भीड़ कलेक्ट्रेट पहुंचती। विभाग ने पहले 24 जनवरी, फिर 28 इसके बाद 8 फरवरी और अंत में जनसुनवाई 10 फरवरी को की।
587 आपत्तिकर्ता नहीं पहुंच पाए जनसुनवाई में मास्टर प्लान-2031 को लेकर। 10 फरवरी को जनसुनवाई हुई। आपत्तियों की पेशी में लंबी कतार देखकर सैंकड़ों लोग वापस लौट गए, जिसमें से सिर्फ 1000 लोग ही पहुंचे थे। 587 आपत्तिकर्ता जनसुनवाई में नहीं पहुंच पाए। अब उनकी आपत्तियों पर विचार नहीं करने के कारण भी विवाद की स्थिति बन सकती है।
इन विवादों से बचने के लिए की गई देरी अधिकारियों का कहना है कि मास्टर प्लान-2031 में दर्जनों खामियां सामने आई थी। इस वजह से नया मास्टर प्लान लागू करने में विलंब हो रहा है। जैसे…
– डूंडा बस्ती की भूमि को प्लान में आमोद-प्रमोद में डाल दिया गया था। – मोवा खसरा क्रमांक 50, 51 में प्रोजेक्ट एप्रूवल दिया और एमआर रोड का प्लान बना दिया। – सकरी 487/10,488/1,2 आमोद-प्रमोद के लिए आरक्षित भूमि को व्यावसायिक में परिवर्तन के लिए रखा गया था। आवासीय प्रोजेक्ट को खुद लेआउट टीएनसीपी ने पास किया। उनके बीचों-बीच एक एमआर रोड का प्रस्ताव बना दिया गया था।
– दर्जनों लोगों की निजी जमीन को राजनीति दबाव में सार्वजनिक व अर्ध सार्वजनिक की श्रेणी में डाल दिया गया। – खोखो तालाब और डबरी तालाब को आवासीय बता दिया गया। मास्टर प्लान-2031 की सभी दावा-आपत्तियों का निराकरण करके शासन को भेज दिया गया है। अंतिम प्रकाशन शासन की सहमति के बाद होगा। इस माह के अंत तक मास्टर प्लान लागू किया जा सकता है। – संदीप बागड़े, संयुक्त संचालक, टीएनसीपी