इससे लोगों को हर जगह पुलिस की मौजूदगी का एहसास होता था और किसी भी घटना स्थल पर तत्काल पहुंच भी जाती थी। अब ये गाड़ियां अपने फिक्स पाइंट पर नहीं रहती, बल्कि ज्यादातर समय थानों के आसपास खड़ी रहती हैं। शहर में केवल चुनिंदा स्थानों पर ही खड़ी नजर आती है। इससे विजुअल पुलिसिंग बुरी तरह प्रभावित है। उल्लेखनीय है कि करीब 5 साल पहले डॉयल 112 की शुरुआत हुई थी।
क्या है विजुअल पुलिसिंग शहर के संवेदनशील, चौक-चौराहों, बाजार या भीड़भाड़ वाले इलाकों में तय स्थानों पर पुलिस जवानों की मौजूदगी ही विजुअल पुलिसिंग है। पुलिस के दिखने से कई तरह के अपराध नहीं हो पाते। आदतन गुंडे-बदमाशों में भय रहता है। वे अपराध करने से कतराते हैं। दूसरी ओर (cg hindi news) पुलिस के मौजूद रहने से आम लोगों का साहस भी बढ़ता है।
यह पड़ रहा असर 52 फिक्स पाइंट में डॉयल 112 की गाड़ियां खड़ी नहीं होने से उन इलाकों के आदतन बदमाशों में भय नहीं रहा। गुंडागर्दी, लूट, चाकूबाजी, नशा, मारपीट जैसी घटनाएं बढ़ने लगी हैं। पुलिस की मौजूदगी नहीं होने से बदमाशों का मनोबल भी बढ़ने लगा है।
डॉयल 112 की गाड़ियों फिक्स पाइंट में बदलाव होता रहता है। इवेंट बढ़ने के कारण भी अलग-अलग स्थानों में भेजा जाता है। डॉयल 112 की किसी भी (Raipur hindi news) गाड़ियों का इस्तेमाल थाने के कामकाज में नहीं किया जाता है। इसके निर्देश सभी को दिए गए हैं। -डॉ. संगीता पीटर, एसपी, डॉयल 112, रायपुर