बता दें मानसिक रोगों के प्रति लोगों को जागरूक और संवेदनशील बनाने के लिए ही हर वर्ष 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का आयोजन किया जाता है। युवाओं से लेकर सीनियर सिटीजन तक सभी आज तनाव भरा की जीवन व्यतीत कर रहे है। डॉक्टरों का कहना है आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव होना आम बात है और तनाव से ही मानसिक रोगों की शुरूआत होती है। अवसाद या डिप्रेशन, जो मानसिक रोगों की सबसे साधारण अवस्था है, तनाव के कारण ही होता है। लेकिन लोग इसे पहचानने में देर कर देते हैं। इसके अलावा लोग मानसिक बीमारी को छिपाने का भी प्रयास करते हैं। केवल बदनामी के डर से डाक्टर के पास नहीं जाते। जबकि यह गलत है। मानसिक रोग भी अन्य रोगों की तरह ही है, यह किसी को भी हो सकता है।
ये हैं मानसिक रोगों के लक्षण:
– व्यक्ति का अचानक उदास होना
– बात कम करना
– अकेले रहने लगना
– छोटी-छोटी बात पर गुस्सा करना मनोवैज्ञानिक सेवा संस्था की पहल
वृद्धाश्रमों में रहने वाले कई सीनियर सिटीजन चिंता, तनाव, अवसाद, भय जैसे मनोविकारों के शिकार हो जाते हैं। कोरोना संक्रमण के दौर में यह समस्या और बढ़ गई है। इसे देखते हुए मनोवैज्ञानिक सेवा संस्था की ओर मनोवैज्ञानिकों की टीम रविवार को कोटा स्थित संजीवनी वृद्धाश्रम पहुंची और सीनियर सिटीजनों से चर्चा कर उनकी मानसिक समस्याओं को जाना। इसके बाद महिला-पुरुष की अलग-अलग काउंसलिंग की। इसके अलावा विभिन्न विषयों पर उनसे चर्चा करते हुए उनके साथ मनोरंजक गतिविधियों में भाग लिया और उनका तनाव दूर करने का प्रयास किया।
उल्लेखनीय है कि वृद्धाश्रमों में रहने वाले सीनियर सिटीजन अपने रिश्तेदारों से दूर रहते हैं। इससे उनमें अपनेपन की कमी रहती है। इसके चलते भी कई मानसिक समस्याओं का सामना करते हैं। इन समस्याओं का समय पर समाधान नहीं होने से शारीरिक समस्या भी बढ़ जाती है। टीम में मनोवैज्ञानिक सेवा संस्था के अध्यक्ष संदीप छेदैया, मोनिका साहू, स्वेता सिंह, अम्रूत मजुमदार आदि शामिल थे।