मुख्य सचिव से लेकर सचिव, प्रमुख सचिव, अवर सचिव, अपर सचिव सहित निदेशकों की बात करें तो एक भी बड़े अधिकारी ने यहां पर रहने की जिम्मेदारी नहीं उठाई है, जबकि अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए यहां क्वार्टर बने हुए हैं। वहीं हाउसिंग बोर्ड ने बंगलों का भी निर्माण किया है।
राज्य सरकार ने यहां विभागों की शिफ्टिंग तो कर दी है, लेकिन इसका उद्देश्य पूरा होता नजर नहीं आ रहा है, क्योंकि जब तक अधिकारी-कर्मचारियों को यहां रहने के लिए दबाव नहीं बनाया जाएगा, तब तक नया रायपुर गुलजार नहीं होगा। इधर रायपुर-नया रायपुर आवागमन परकामकाज से ज्यादा रुपयों की बर्बादी हो रही है, जो कि सालाना 20 से 21 करोड़ रुपए हैं। बीते 6-7 वर्षों से यह दस्तूर जारी है। इतने वर्षों में 100 करोड़ की राशि नया रायपुर से रायपुर आने जाने में खर्च कर दिया गया। इस राशि से अलग-अलग सेक्टरों में अधिकारियों के कई बंगले और आवासीय परिसर बनाए जा सकते थे।