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बताया जाता है कि एम्स में उपचार प्राप्त कर रहे कोविड-19 के 60 रोगियों की रिपोर्ट भी आ चुकी है, जिसमें वायरस में म्यूटेशन पाया गया है। एम्स के विशेषज्ञ म्यूटेशन के बाद नया वायरस कम या ज्यादा संक्रमण वाला है, कमजोर है या शक्तिशाली, लक्षण में किस प्रकार के बदलाव आए हैं आदि को लेकर रिसर्च करने में जुट गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि वायरस में समय-समय में बदलाव आते हैं या यूं कहें कि वक्त और परिवेश के साथ खुद को बदलता है। ऐसी स्थिति में वायरस कमजोर या शक्तिशाली हो सकता है।एम्स में जीनोम सीक्वेंसिंग जांच सुविधा
एम्स के एक उच्च अधिकारी के मुताबिक, पहले वायरस के नेचर के बारे में पता लगाने के लिए सैंपल पुणे भेजा जाता था। अब एम्स के वीआरडी लैब में ही किसी भी वायरस का जीनोम सीक्वेंसिंग का पता करने वाली नेक्स्ट जनरेशन सीक्वेंसिंग मशीन स्थापित हो गई है। इस मशीन से किसी भी वायरस के नेचर का पता लगाया जा सकता है।
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रायपुर एम्स के निदेशक डॉ. नितिन एम नागरकर ने कहा, वायरस में म्यूटेशन होता रहता है। कुछ म्यूटेशन में वायरस वीक तो कुछ में स्ट्रांग हो जाते हैं। प्रदेश में अलग वायरस नहीं है, जो देशभर में वायरस मिल रहे हैं उसी के समान है। नेक्स्ट जनरेशन सीक्वेंसिंग मशीन से वायरस जोनोम का स्टडी करने में विशेषज्ञ जुटे हुए हैं, जो भी डेटा आएगा उसे पहले आईसीएमआर को भेजा जाएगा।