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रायपुर

कोरोना अपडेट : छत्तीसगढ़ में पीक दूर व कम्युनिटी स्प्रेड का खतरा टला नहीं

– हर जिले से 240 आम नागरिक और 260 उच्च जोखिम वालों के सैंपल। – उच्च जोखिम वालों में आम नागरिकों की तुलना में ज्यादा एंटीबॉडी मिली।

रायपुरOct 03, 2020 / 11:58 pm

CG Desk

Corona: दुनिया में कोरोना से सबसे ज्यादा डॉक्टरों की मौत भारत में

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रायपुर. प्रदेश के 10 जिलों के 5.56 प्रतिशत लोगों में ही कोरोना वायरस के विरुद्ध एंटीबॉडीज पाई हैं। यानी 94.44 प्रतिशत लोग सुरक्षित नहीं हैं। इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की सीरो सर्वे रिपोर्ट में ये चौंकाने वाला तथ्य सामने आए हैं। जो इस बात को प्रमाणित करते हैं कि छत्तीसगढ़ में पीक अभी कोसो दूर है और वायरस के कम्युनिटी स्प्रेड का खतरा टला नहीं है। हर किसी को पहले से कहीं ज्यादा सतर्क रहने की जरुरत है।
सर्वे रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा एंटीबॉडीज रायपुर जिले के व्यक्तियों में पाई गई। यह स्वाभाविक है क्योंकि आज संक्रमण का सबसे ज्यादा फैलाव यहीं हुआ है और हो रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ 5.56 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडीज का पाया जाना अच्छे संकेत नहीं है। जितने ज्यादा लोगों में एंटीबॉडीज मिलेगी, उतना संक्रमण के फैलाव पर रोक लगेगी। उधर, रिपोर्ट में इस बात का साफ-साफ उल्लेख है कि कुल लिए गए 5,083 सैंपल में से 283 में एंटीबॉडी मिली। जिनमें आम लोग 97 और 186 उच्च जोखिम वाले लोग हैं। यानी उच्च जोखिम वालों को वायरस आम लोगों की तुलना में दोगुनी गति से हमलावर है। स्पष्ट है कि बुजुर्गों को बचाने की जरुरत है, वे इस वायरस से सुरक्षित नहीं है।
दिल्ली के विशेषज्ञों के मुताबिक
दिल्ली में तीसरे सीरो सर्विलेंस की रिपोर्ट को आधार बनाकर डॉक्टर कह रहे हैं कि 2-3 महीने के बाद एंटीबॉडी खत्म हो गई। इसलिए विशेषज्ञों ने अब सीरो सर्वे को उपयोगी नहीं माना है। छत्तीसगढ़ में 17 ऐसे केस सामने आए हैं दो ठीक होने के बाद दोबारा संक्रमित हो गए। अगर, सही ढंग से जांच हो तो संख्या बढ़ भी सकती है। दोबारा संक्रमित होना चिंता बढ़ाने वाले संकेत हैं।
सैंपल साइज को लेकर अभी भी स्थिति स्पष्ट नहीं
हर जिले से 500 लोगों की सैंपलिंग क्या कम नहीं है? सैंपलिंग किन क्षेत्रों से हुई इसका क्या आधार है? जो लोग दोबारा संक्रमित हुए उन्हें क्या सर्वे में शामिल किया गया?, क्या शहरी क्षेत्र में ज्यादा सैंपलिंग नहीं होनी चाहिए? ये ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब अभी नहीं मिला है।
एंटीबॉडी पाए जाने का मतलब
जिन व्यक्तियों के अंदर एंटीबॉडी पाए जा रहे हैं, इससे यह स्पष्ट है कि वह कभी न कभी संक्रमित हुआ होगा। या तो टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए होंगे, या फिर खुद से ठीक हो गए होंगे। ऐसे ही लोगों का समूह या यूं कहें कि किसी समुदाय के ७०-९० प्रतिशत लोगों में वायरस के विरुद्ध रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकसित हो जाना हर्ड इम्युनिटी कहलाता है।
सबसे बड़ा सवाल
आप कैसे संक्रमित हुए? इसका जवाब डॉक्टरों के पास भी नहीं है क्योंकि पहले कम लोग संक्रमित थे। आज ज्यादा हैं। आप कब, कहां और किस संक्रमित के संपर्क में आ रहे हैं, आपको भी नहीं पता। आप जिस चीज को छू रहे हैं, उसमें वायरस है, यह भी नहीं पता। इसलिए कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग भी मुश्किल हो रही है।
किस जिले में कितनी एंटीबॉडी
रायपुर- 13.06, दुर्ग- 8.61, जांजगीर चांपा- 8.2, बिलासपुर- 7.2, बलौदाबाजार-भाटापारा- 5.57, राजनांदगांव- 3.75, मुंगेली- 3.64, कोरबा- 2.79, बलरामपुर- 1.74, जशपुर- 1.51

एक्सपर्ट व्यू-
किसी भी वायरस वाली बीमारी में, वह भी नई बीमारी में जब तक 65-70 प्रतिशत के करीब लोगों में एंटीबॉडीज नहीं मिलती हैं तो कम्युनिटी स्प्रेड के खतरे को नकारा नहीं जा सकता। अभी भी तो एक से दूसरे में वायरस पहुंच ही रहा है। किसको, कहां से संक्रमण मिल रहा है आज बता पाना संभव ही नहीं हैं। हां, जब 65-70 प्रतिशत में एंडीबॉडीज मिल जाएंगी तो उनसे दूसरों को खतरा कम होगा। वे वेरियर का काम करेंगे।
डॉ. निर्मल वर्मा, विभागाध्यक्ष, कम्युनिटी मेडिसीन, पं. जेएनए मेडिकल कॉलेज रायपुर
आईसीएमआर देश का सर्वोच्च शोधकर्ता संस्थान है। उनका सर्विलेंस का अपना वैज्ञानिक तरीका है, उसी के आधार पर गणना की गई है। हमें अब और भी ज्यादा सजग रहने की जरुरत है।
टीएस सिंहदेव, स्वास्थ्य मंत्री

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