सत्ता संभालते ही की थी नियुक्ति
विधानसभा चुनाव में भारी जीत के बाद 17 दिसम्बर को भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उसके तुरंत बाद राज्य के महाधिवक्ता जुगल किशोर गिल्डा ने अपना इस्तीफा दे दिया। मुख्यमंत्री ने राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा को महाधिवक्ता के चयन का जिम्मा सौंपा। लंबी बातचीत के बाद 27 दिसम्बर को इस पद पर कनक तिवारी की नियुक्ति हुई। तिवारी ने जनवरी में अपनी जिम्मेदारी संभाली।
पैरवी से खुश नहीं है सरकार!
बताया जा रहा है कि इस विवाद के पीछे सरकार की नाखुशी है। नान घोटाला, ई-टेंडरिंग घोटाला, अंतागढ़ टेप कांड जैसे कई मामलों में सरकार ने एसआईटी गठित की। आरोपियों ने एसआईटी गठन को ही चुनौती दी और राहत पाने में कामयाब रहे। पुलिस अफसरों ने इसका ठीकरा महाधिवक्ता कार्यालय पर फोड़ा। विधि प्रकोष्ठ के नेताओं ने भी उनका विरोध किया। उनका कहना था, कनक तिवारी ने पैनल में एक ऐसे वकील को रखा है जो पूर्व मंत्री राजेश मूणत का केस लड़ता है। बताया जा रहा है कि खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी महाधिवक्ता कनक तिवारी के कामकाज से निराश हैं।सतीष चंद्र वर्मा हो सकते हैं नए एजी
उच्च पदस्थ सूत्रों की माने तो वरिष्ठ अधिवक्ता सतीष चंद्र वर्मा नए महाधिवक्ता हो सकते हैं। वर्मा अभी अतिरिक्त महाधिवक्ता हैं। बताया जा रहा है कि उनकी नियुक्ति का आदेश शनिवार तक जारी हो सकता है।