शिल्पी ने बताया, बचपन से ही समाजसेवा में रुचि थी। मैंने ऐसे लोगों को न्याय के लिए भटकते देखा है जो कभी कोर्ट की बिल्डिंग तक नहीं देखे हैं। ऐसे लोगों को न्याय दिलाना मुझे सुकून देता है। असहाय लोगों से मैं फीस नहीं लेती। इन दिनों वे जिला एवं सत्र न्यायालय रायपुर में काम कर रही हैं।
संविधान दिवस पर जानिए उनकी कहानी।
Constitution Day 2024: सामाजिक कार्यों के दौरान मिली प्रेरणा
मेरा एक फाउंडेशन है जिसके तहत मैं गरीबों और समाज के पिछड़े लोगों के लिए कार्य कर रही हूं। इस दौरान मैंने पाया कि कई पक्षकार ऐसे हैं जिनकी सुनी नहीं जाती। कई सीधे-साधे लोग फंस जाते हैं, उनके पास कानूनी लड़ाई के लिए पैसे भी नहीं होते। तब मैंने सोचा कि वकालत ऐसा पेशा है जिसके जरिए ऐसे लोगों की मदद की जा सकती है।
2015 से वकालत
मैंने अपनी प्रैक्टिस
हाईकोर्ट से शुरू की। साल 2015 से मैं वकालत कर रही हूं। मेरी नौकरी शिक्षाकर्मी, सांयिकी अधिकारी, स्टेनोग्राफर, टेक्सेशन ऑफिसर के तौर पर लगी, हालांकि मैंने डिप्टी कलेक्टर की तैयारी की थी।
पैसों की तंगी रही नहीं
पिता सेंट्रल गवर्नमेंट में थे। बहन
रायपुर में एडीजे हैं। पति बैंक में मैनेजर हैं। इसलिए मुझे कभी पैसों की तंगी रही नहीं। मैंने वही किया जो मेरा दिल चाहता।