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रायपुर

इंद्रावती टाइगर रिजर्व के लिए 41 साल बाद तैयार हुआ कंजर्वेशन प्लान, अगले दस वर्षों तक बाघों समेत वन्य जीवों के संरक्षण को मिलेगी दिशा

मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) एके श्रीवास्तव और उनकी टीम ने 4 महीने तक रिजर्व क्षेत्र से जुड़े उपलब्ध डाटा का विश्लेषण करने के बाद चार किताबों के बराबर एक प्लान तैयार किया। इस प्लान में बाघों के साथ ही जंगली भैंसे व अन्य वन्य जीवों के संरक्षण की कार्य योजना बनाई गई है।

रायपुरJan 12, 2020 / 01:28 am

ramdayal sao

इंद्रावती टाइगर रिजर्व के लिए 41 साल बाद तैयार हुआ कंजर्वेशन प्लान, अगले दस वर्षों तक बाघों समेत वन्य जीवों के संरक्षण को मिलेगी दिशा

इंद्रावती टाइगर रिजर्व के लिए 41 साल बाद तैयार हुआ कंजर्वेशन प्लान, अगले दस वर्षों तक बाघों समेत वन्य जीवों के संरक्षण को मिलेगी दिशा

रायपुर/ जगदलपुर. बीजापुर जिले में इंद्रावती नदी के किनारे साल 1978 में बाघों व अन्य वन्य जीवों के संरक्षण के उद्देश्य से इंद्रावती टाइगर रिजर्व की स्थापना की गई थी। टाइगर रिजर्व तो स्थापित कर दिया गया लेकिन वन विभाग स्थापना के 41 साल बाद भी यहां के लिए कंजर्वेशन प्लान (संरक्षण कार्ययोजना) नहीं बना पाया था।
इसके पीछे का प्रमुख कारण टाइगर रिजर्व क्षेत्र में माओवादियों की दखल होना था। पिछले कुछ सालों में इंद्रावती टाइगर रिजर्व क्षेत्र से माओवादी दूर हुए तो वन विभाग ने यहां के लिए कंजर्वेशन प्लान तैयार करने की सोची। मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) एके श्रीवास्तव और उनकी टीम ने 4 महीने तक रिजर्व क्षेत्र से जुड़े उपलब्ध डाटा का विश्लेषण करने के बाद चार किताबों के बराबर एक प्लान तैयार किया। इस प्लान में बाघों के साथ ही जंगली भैंसे व अन्य वन्य जीवों के संरक्षण की कार्य योजना बनाई गई है।
प्राकृतिक आवास को विकसित करने पर फोकस : कंजर्वेशन प्लान तैयार करने का मुख्य उद्देश्य वन्य जीवों के प्राकृतिक आवास (हैबिटेट्स) को विकसित करना है। इसके तहत रिजर्व क्षेत्र में जहां वन्य जीव ज्यादा पाए जाते हैं वहां जरूरत के अनुसार उनके लिए सुविधाएं जुटाई जाएंगी।

मोबाइल एप का उपयोग

टाइगर रिजर्व क्षेत्र में वन्य जीवों की प्रमाणित फोटो जुटाने पर रिजर्व क्षेत्र के वन अमले को खास तौर पर लगाया गया है। उन्हें मोबाइल में एक खास तरह का एप डाउनलोड करने के लिए कहा गया है। इसमें टाइम, लोकेशन और डेट का उल्लेख तस्वीर के साथ हो जाता है। इस तस्वीर को ही प्रमाणित माना जाता है। इससे वन्य जीवों की गणना में पुराने ट्रैकिंग कैमरों पर निर्भरता कम हुई है।

एनटीसीए से मंजूरी मिलते ही काम होगा शुरू

कंजर्वेशन प्लान चार महीने की विभागीय मशक्कत के बाद तैयार हो चुका है। चार किताबनुमा प्लान दिल्ली स्थित एनटीसीए (नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी) को मंजूरी के लिए भेजा गया है। देश के 50 टाइगर रिजर्व क्षेत्र में से 3 ऐसे रिजर्व क्षेत्र थे, जिनका प्लान तैयार नहीं हो पाया था। इंद्रावती टाइगर रिजर्व भी उनमें से एक था। अब जबकि 41 साल के बाद प्लान भेजा गया है तो वन अमले को उम्मीद है कि मंजूरी जल्द मिल जाएगी और इस दिशा में रिजर्व क्षेत्र के अंदर काम भी शुरू हो जाएगा।
– हमने करीब चार महीने के अथक परिश्रम के बाद कंजर्वेशन प्लान तैयार किया है। यह वन्य जीवों के सरंक्षण को लेकर दिशा प्रदान करेगा। प्लान एनटीसीए को भेज दिया गया है। उम्मीद है कि जल्द ही इसे मंजूरी मिल जाएगी और हम इसके आधार पर रिजर्व क्षेत्र में काम कर पाएंगे।
एके श्रीवास्तव, सीसीएफ (वन्य प्राणी) इंद्रावती टाइगर रिजर्व

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