मुख्यमंत्री ने कहा, जो भी प्रशिक्षु आईएएस आते हैं तो उनसे पूछता हूं कि वे कहां
काम करना चाहते हैं। वे बस्तर को प्राथमिकता देते हैं, और वहां अपनी सेवाएं दे भी रहे हैं। उसके उलट उन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए दो लाख-ढाई लाख रुपए के मोटे पैकेज पर बाहर से डॉक्टर लाने पड़ रहे हैं।
डिग्री पाने वाले डॉक्टरों से मुख्यमंत्री ने कहा, उनसे आग्रह है कि वे सुदूर क्षेत्रों में सेवा दें ताकि स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति सुधारी जा सके। राज्यपाल बलरामजीदास टंडन, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री अजय चंद्राकर ने भी नए डॉक्टरों को संबोधित किया।
भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए लाए नेट
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने कहा, चिकित्सा क्षेत्र में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए सरकार राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा की संकल्पना लेकर आई है। नई व्यवस्था के तहत मेडिकल व्यवसाय शुरू करने के लिए डॉक्टरों को एक अखिल भारतीय पात्रता परीक्षा से गुजरना होगा। देश भर में इस प्रावधान का विरोध हो रहा है।
उन्होंने नए डॉक्टरों से कहा, आजकल चिकित्सक मरीज को बिना छुए इलाज कर रहे हैं। इससे बीमारी का इलाज तो हो जा रहा है, लेकिन मरीज ठीक नहीं हो रहा है। एक चिकित्सक के लिए मानवीय संवेदनाओं की समझ भी जरूरी है।
26 विद्यार्थियों को मिले 38 स्वर्णपदक
विश्वविद्यालय के दूसरे दीक्षांत समारोह में एमबीबीएस, एमडी, एमएस, एमएसएसी नर्सिंग और एमडीएस के 26 विद्यार्थियों को 38 स्वर्ण पदकों से नवाजा गया। समारोह में 7 हजार 140 विद्यार्थियों को विभिन्न उपाधियां प्रदान की गई। इनमे से 182 को मंच से डिग्री दी गई।