इसलिए करने लगा गाइड
दीपक ने बताया कि हर एक बच्चे में टैलेंट छिपा होता है। जब मैंने विज्ञान की दुनिया में कदम रखा तब मेरी उम्र कम थी, सही रास्ता बताने वाले भी नहीं मिले और जब चीजें समझ आने लगी तो पैसों की कमी आड़े आ गई। अभी भी मैं एक ईजाद में जुटा हूं जिसे वक्त आने पर बताऊंगा। मैं डीआरडीए या बार्क में कभी जाना नहीं चाहता था क्योंकि वहां आपकी इंडीविजुअल पहचान मुश्किल है। जब मुझे लगा कि मेरे जैसे कई बच्चे हैं जिन्हें एक मार्गदर्शक की जरूरत है तो मैंने उन्हें गाइड करना शुरू कर दिया।आइडियाज को इंम्पलीमेंट की जरूरत
दीपक ने बताया कि बाल वैज्ञानिकों को प्लेटफॉर्म देने के लिए अब स्कूलों के साथ ही राज्य व केंद्र स्तरीय एग्जीबिशन लगाए जाते हैं। प्राइवेट स्कूलों में तो मेंटोर होते हैं लेकिन सरकारी स्कूलों के बच्चों के पास आइडियाज की कमी होती है। अगर किसी के पास आइडिया हो भी तो उसे इंम्पलीमेंट की जरूरत होती है। मैं ऐसे ही बच्चों की मदद करता हूं। अब तक मैंने 500 से ज्यादा मॉडल्स बनाने में हेल्प की है जिसमें कई प्रोजेक्ट को नेशनल में रैंकिंग भी हासिल हुई है।