राज्य संपरीक्षा निधि ने पंडित रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय, पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय, अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बस्तर विश्वविद्यालय और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर व संबद्ध इकाइयों का अलग-अलग वित्तीय वर्ष के हिसाब से ऑडिट किया है। इसमें कहा गया है कि विश्वविद्यालयों के लेखों की स्थिति संतोषजनक नहीं है। विश्वविद्यालयों में सामान्यत: आवास आवंटन पंजी, भवन किराया पंजी, साइकिल स्टैंड ठेका जैसी नस्ती सही नहीं रहती है।
शासन को वापस नहीं की अनुदान की राशि
विश्वविद्यालयों को सरकार अनुदान राशि देती है। राशि का उपयोग नहीं होने पर उसे वापस करना होता है, लेकिन विश्वविद्यालयों में वर्ष 2022-23 की स्थिति में 11 करोड़ 50 लाख 59 हजार रुपए की राशि शासन को वापस नहीं की। रिपोर्ट में इस बात की अनुशंसा की गई यदि अनुदान की राशि शेष रहती है, तो आगामी वर्ष में सक्षम स्वीकृति मिलने के बाद ही राशि खर्च की जाए। अनुमति नहीं मिलने की स्थिति में अनुदान की शेष राशि शासन को वापस की जाए। मनमर्जी से राशि खर्च
रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालयों के अलावा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय एवं उससे संबद्ध इकाइयों ने सात वित्तीय वर्ष का बजट मंजूर ही नहीं कराया और अपनी मर्जी के मुताबिक राशि खर्च की। इस कारण 192.43 करोड़ रुपए अनाधिकृत रूप से खर्च किए गए। पंडित सुंदरलाल शर्मा विश्वविद्यालय ने पाठ्य सामग्री की छपाई में 2 करोड़ 39 लाख रुपए से अधिक की रुपए का नुकसान हुआ है। आयोग ने अनुशंसा की है कि इस हानि के लिए जिम्मेदारी तय कर वसूली की कार्रवाई की जाए।
ऐसी गड़बड़ी
- – वाहन किराया में ज्यादा राशि का भुगतान।
– चिकित्सा बिल में अधिक राशि का भुगतान
– लॉकडाउन के दौरान कार्यालयीन वाहनों का उपयोग।
– टेलीफोन और मोबाइल बिल का पात्रता से अधिक भुगतान
– निर्माण कार्यों का अनियमित भुगतान।
– बिना पद के कर्मचारियों को रखकर वेतन देना।
– सामग्री क्रय में भंडार क्रय नियम की अनदेखी।