Chhattisgarh News: AIIMS की तर्ज पर खोले जाएंगे CIMS, भाजपा ने संकल्प पत्र में किया था वादा
Chhattisgarh News: प्रदेश के हर संभागीय मुख्यालय पर एम्स की तर्ज पर छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (सीआईएमएस) खोले जाने हैं। भाजपा ने संकल्प पत्र में इसका वादा किया था।
Chhattisgarh News:प्रदेश के हर संभागीय मुख्यालय पर एम्स की तर्ज पर छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (सीआईएमएस) खोले जाने हैं। भाजपा ने संकल्प पत्र में इसका वादा किया था। विशेषज्ञों के जरिए पत्रिका ने संकल्प पत्र के आधार पर सरकार के 100 दिन के कामकाज का रोडमैप बनाया। इसे 100 दिन में पूरा करने के रास्ते भी ढूंढ़े। पत्रिका बता रहा है जमीन चिह्नित करने से लेकर अधिग्रहण और आवंटन की प्रक्रिया पूरी कर बजट का इंतजाम किया जाए तो कम से कम 20 फीसदी काम हो जाएगा। इससे तय समय में प्रोजेक्ट पूरा होगा। 100 दिन में सरकार किस तरह प्रोजेक्ट पर आगे बढ़ सकती है, पत्रिका की रिपोर्ट..।
पहले मेडिकल इंस्टीट्यूट का प्रोजेक्ट प्लान तय हो। इंस्टीट्यूट का कॉन्सेप्ट तय हो। प्रोजेक्ट की डीपीआर बनाकर जमीन, भवन, क्षमता, अमला, संसाधन, लक्ष्य व बजट तय हों। डीपीआर पर कैबिनेट से मंजूरी ली जा सकती है।
प्रोजेक्ट तय कर संभागीय मुख्यालयों पर जमीन चिह्नित करनी होगी। 5 संभागीय मुख्यालयों में देखना होगा, कि निजी जमीन अधिग्रहित करने की जरूरत है या नहीं। ऐसा हुआ तो अधिग्रहण प्रक्रिया भी इसी अवधि में पूरी की जा सकती है।
विशेषज्ञों की मानें तो एम्स जैसे इंस्टीट्यूट के लिए 400 से 500 करोड़ रुपए की जरूरत होती है। इसलिए केंद्रीय मदद के प्रस्ताव तुरंत भेजना होगा। राज्य स्तर पर भी बजट का इंतजाम करना होगा। जुलाई में अनुपूरक बजट में प्रावधान करना होगा।
Chhattisgarh News: छोटे कदमों से ही ये दो अहम वादे भी पूरे हो जाएंगे
संकल्प पत्र में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) के तहत प्रति परिवार को 5 लाख की जगह 10 लाख का स्वास्थ्य बीमा देने का वादा भी किया है। केंद्र सरकार ने इसे लागू करने की घोषणा की है। इसके आधार पर इसे प्रदेश में भी लागू किया जा सकता है। इससे 68 लाख परिवारों को लाभ मिलेगा।
संकल्प पत्र में प्रदेश के सभी वरिष्ठ नागरिकों के लिए सालाना नि:शुल्क संपूर्ण शारीरिक स्वास्थ्य जांच करने का भी वादा किया गया है। इस पर नीतिगत फैसला लेकर आदेश जारी किया जा सकता है। इसके लिए बहुत ज्यादा फंड की भी आवश्यकता नहीं होगी। अस्पतालों में विशेष शिविर लगाकर इसकी जांच की जा सकती है।
निर्माण की डगर है कठिन
पांच साल में एम्स जैसा इंस्टीट्यूट तैयार करना आसान नहीं है। एम्स को बनने में भी 11 साल का समय लगा था। ऐसे में मेडिकल इंस्टीट्यूट के लिए तुरंत काम शुरू होने के साथ काम की निगरानी के लिए मासिक समीक्षा व्यवस्था भी बनानी होगी। इससे काम में तेजी आएगी। निर्माण कार्य भी जल्द शुरू करना होगा, क्योंकि बड़े भवन बनने में ही तीन साल से ज्यादा समय लग जाता है।