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रायपुर

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में 9% बच्चे बौनेपन के शिकार, देश में यह दर 6%

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में कुपोषण की वजह से बच्चों की लंबाई घट रही है। इससे लगभग आधी आबादी प्रभावित है। छत्तीसगढ़ देश में ऐसा तीसरा राज्य है, जहां 0 से 5 वर्ष के 8.92 फीसदी बच्चे बौनेपन का शिकार हो रहे हैं।

रायपुरAug 31, 2024 / 12:05 pm

Khyati Parihar

Chhattisgarh News
Chhattisgarh News: Story By: @ राहुल जैन। छत्तीसगढ़ देश में ऐसा तीसरा राज्य है, जहां 0 से 5 वर्ष के 8.92 फीसदी बच्चे बौनेपन का शिकार हो रहे हैं। जबकि राष्ट्रीय दर 6 फीसदी है। इस हिसाब से छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh News) के आंकड़े चिंता का विषय है। ठीक इसके विपरीत हमारे पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में आबादी अधिक होने के बाद भी यहां 8.46 फीसदी बच्चों में ही ठिगनापन पाया जा रहा है। राजस्थान में 6.24 फीसदी बच्चों में ही बौनापन पाया जाता है।
Chhattisgarh News: हालांकि छत्तीसगढ़ बच्चों में दुबलापन और अल्पवजन के मामले में मध्यप्रदेश और राजस्थान से बेहतर स्थिति में है। केंद्र सरकार के पोषण ट्रैकर के आंकड़ों पर गौर करें, तो छत्तीसगढ़ में 0 से 6 साल के 17.83 फीसदी बच्चों में ही दुबलापन पाया जाता है। जबकि राष्ट्रीय औसत 35.6 फीसदी है।
वहीं अल्पवजन के मामले में भी छत्तीसगढ़ ( Chhattisgarh News) अन्य राज्यों से बेहतर स्थिति में है। जून 2024 पोषण ट्रैकर के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 13.24 फीसदी बच्चे ही अल्पवजन के होते हैं। जबकि पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में 27.59 फीसदी और राजस्थान में 17.07 फीसदी बच्चे अल्पवजन के होते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह पोषण की कमी को माना जाता है। हालांकि राज्य सरकार कुपोषण दूर करने के लिए कई तरह की योजनाएं संचालित करती है।

Chhattisgarh News: 8.57 करोड़ बच्चों की जांच

वर्ष 2021 के लिए भारत में 6 वर्ष तक के सभी बच्चों की अनुमानित जनसंख्या 16.10 करोड़ है। पोषण ट्रैकर के जून 2024 के आंकड़ों के अनुसार, 8.91 करोड़ बच्चे (0-6 वर्ष) आंगनबाड़ी केन्द्रों में नामांकित हैं, जिनमें से 8.57 करोड़ बच्चों का विकास मापदंडों पर मापन किया गया।
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ये हैं बौनेपन के कारण

  • – सबसे आम कारणों में से एक है ऐकोन्ड्रोप्लेजिया, जो एक आनुवांशिक विकार है।
    – ग्रोथ हार्मोन की कमी भी बौनेपन का कारण बन सकती है।
    – गर्भावस्था के दौरान या बचपन में कुपोषण से भी बच्चा बौना रह सकता है।
    – कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव के रूप में भी बौनापन हो सकता है।
    – 13.34% बच्चों का वजन औसत से रहता है कम।

निशक्तजन की श्रेणी में बौनापन शामिल

केन्द्र सरकार ने बौने कद के व्यक्तियों की पीड़ा को समझते हुए दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 का दायरा बढ़ाया है। इसमें 21 प्रकार की दिव्यांगता को स्वीकृति देतेे हुए बौनेपन को इसमेें शामिल कर लिया है। इसके बाद बौने व्यक्तियों को आरक्षण का लाभ मिल रहा है। बौनापन विकलांगता प्रमाण पत्र के लिए अभ्यर्थी का चार फीट दस इंच अथवा इससे कम ऊंचाई का होना जरूरी है।

बोलते आंकड़े

राज्य – दुबलापन( 0 से 6 वर्ष ) – अल्प वजन (0 से 6 वर्ष ) – ठिगनापन (0 से 5 वर्ष )

गुजरात – 38.95 – 23.02 – 9.16
छत्तीसगढ़ – 17.83 – 13.34 – 8.92
मध्यप्रदेश – 40.49 – 27.59 – 8.46
राजस्थान – 35.6 – 17.02 – 6.24
उत्तरप्रदेश – 45.13 – 19.46 – 5.07
दिल्ली – 39.39 – 12.58 – 7.87
भारत – 35.6 – 17.02 – 6.00
समाज कल्याण मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने कहा कि कुपोषण दूर करने के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित हैं। ठिगनेपान से प्रभावितों को भी सरकार मदद करती है। इस समस्या के लिए अलग से योजना बनाने पर विचार किया जाएगा।

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