स्वयं प्रकट हुई मां दंतेश्वरी
दूसरी पीढ़ी में माता की सेवा करने लगे पुजारी संजय यादव बताते हैं कि देवी स्थापना का इतिहास 700 वर्ष पूराना है। उस समय यह स्थान पूरी तरह से जंगल था। ग्वाले यहां मवेशी चराने आते थे, एक दिन उन्हे माता की मूर्ति जमीन से प्रकट होते दिखाई दी। तब से यहां पूजा अर्चना शुरू हुई। इसलिए यहां यादव की मंदिर के पुजारी होते हैं। अब यहां माता का भव्य दरबार बन चुका है। यहां जो भी श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं सभी की मनोकामना पूर्ण होती है, ऐसी मान्यता जुड़ी है।