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रायपुर

CG Weather Radar: अब होगी मौसम की सटीक भविष्यवाणी, प्रदेश में जल्द स्थापित होगा अपना रडार सिस्टम…

CG Weather Radar: रायपुर में बैठकर जगदलपुर से लेकर अंबिकापुर तक मौसम की सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है। चूंकि सेटेलाइट पिक्चर 30 हजार किमी दूर से खींची जाती है इसलिए मौसम की सटीक भविष्यवाणी नहीं हो पा रही है।

रायपुरSep 05, 2024 / 11:05 am

Laxmi Vishwakarma

CG Weather Radar
CG Weather Radar: प्रदेश में लगातार मौसम के बदलते मिजाज से मौसम का सटीक पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता है। इसके लिए मौसम विज्ञान केंद्र में रडार की सख्त आवश्यकता है। बता दें कि राजधानी स्थित मौसम विज्ञान केंद्र में रडार नहीं लगे होने का प्रदेश को ये नुकसान हो रहा है कि अभी वास्तविक लोकेशन का पूर्वानुमान ही नहीं लग पा रहा है।

CG Weather Radar: मौसम विभाग का रडार

नागपुर व विशाखापट्टनम में रडार लगे हैं, लेकिन ये रायपुर से दूर हैं। इसलिए इससे सटीक पूर्वानुमान नहीं लग पा रहा है। इसलिए मौसम विज्ञानी सेटेलाइट तस्वीरों की मदद से मौसम का पूर्वानुमान जारी कर रहा है। (CG Weather Radar) इसमें भी सटीक पूर्वानुमान का अभाव है। इंदिरा गांधी कृषि विवि में मौसम विभाग का रडार लग रहा है। दो से तीन माह में इसके शुरू होने के बाद सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा।

पूर्वानुमान के लिए रडार काफी उपयोगी

4 से 6 घंटे के पूर्वानुमान के लिए रडार काफी उपयोगी है। इसे नाऊ कास्ट कहा जाता है। कहां क्यूमलो निंबस (सीबी) क्लाउड है, इसकी ऊंचाई कितनी है ये कितना प्रभावी रहेगा, रडार से पता चलता है। सेटेलाइट से इसका पता लगाया नहीं जा सकता। रडार की रेंज 200 से 250 किमी तक होती है।
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इससे रायपुर में बैठकर जगदलपुर से लेकर अंबिकापुर तक मौसम की सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है। चूंकि सेटेलाइट पिक्चर 30 हजार किमी दूर से खींची जाती है इसलिए मौसम की सटीक भविष्यवाणी नहीं हो पा रही है। इस कारण कई बार नाउ कास्ट में भारी से अतिभारी बारिश के पूर्वानुमान के बावजूद बौछारें तक नहीं पड़तीं।

मार्च-जून व अक्टूबर-नवंबर में बनता है सीबी क्लाउड

प्रदेश में सीबी क्लाउड मार्च से जून व अक्टूबर से नवंबर तक बनता है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार मानसूनी सीजन में यह दूसरे बादल से मिक्स हो जाता है इसलिए यह खतरनाक नहीं हो पाता। एक सीबी खतरनाक होता है। वहीं 5 से 6 सीबी बनने से टारनेडो बनता है, जो खतरनाक तूफान होता है। इससे ट्रेन पलट जाती है। बस उड़ जाती है और घरों के परखच्चे उड़ जाते हैं। विदेश में ऐसी घटनाएं यदा-कदा होती रहती हैं।

पानी टंकी ने रोका इसलिए लाभांडी में लग रहा रडार

मौसम विज्ञान केंद्र लालपुर में 32 लाख लीटर क्षमता वाली पानी टंकी बनी है। यही टंकी मौसम केंद्र में रडार लगाने के लिए बाधक है। जब टंकी बनी, तब मौसम विभाग के तत्कालीन डायरेक्टर ने इसका विरोध किया था। इस संबंध में नगर निगम कमिश्नर व शासन के अधिकारियों को पत्र लिखा था।
इसके बाद भी टंकी बना दी गई। 25 करोड़ की लागत से लाभांडी में रडार लगाया जा रहा है। टंकी के कारण हवा की वास्तविक गति का पता नहीं चलता। (CG Weather Radar) ये टंकी हवा की गति को कम कर देती है। इसलिए वास्तविक गति पता लगाने में दिक्कत हो रही है।

सीबी क्लाउड से डैमेज हो सकता एरोप्लेन का इंजन

सीबी क्लाउड एरोप्लेन के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक है। चूंकि रडार नहीं लगा है इसलिए सेटेलाइट से सीबी क्लाउड का वास्तविक लोकेशन का पता नहीं लग पा रहा है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार सीबी क्लाउड से प्लेन का इंजन डैमेज हो सकता है। इसलिए पायलट को इसकी वास्तविक लोकेशन की जानकारी दी जाती है।
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ताकि प्लेन को अगल-बगल से निकाल सके। सीबी के अंदर बर्फ होता है। यही नहीं, हवा भी तेजी से ऊपर नीचे होती रहती है। इसके अंदर घुसने पर प्लेन हिचकोले खाने लगता है। विदेश में हाल में इस तरह की कुछ घटनाएं हुई हैं, जिसमें विमान की छत से सिर टकराने के कारण एक यात्री की मौत भी हुई है। कई यात्री घायल भी हुए हैं।
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रडार का रेंज 200 से 250 किमी तक

CG Weather Radar: एमएल साहू, रिटायर्ड डिप्टी डायरेक्टर जनरल मौसम ने बताया कि रडार लगने से प्रदेश के मौसम का सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा। रडार का रेंज 200 से 250 किमी तक होता है इसलिए 4 से 6 घंटे का पूर्वानुमान सटीक लोकेशन के साथ जारी किया जा सकेगा।
सीबी क्लाउड को भी पकड़ेगा, जो सेटेलाइट तस्वीर से वास्तविक लोकशन का संभव नहीं होता। (CG Weather Radar) ये एरोप्लेन की उड़ान के लिए बहुत आवश्यक भी है। सीबी क्लाउड विमान के इंजन को डैमेज कर सकता है। दो से तीन माह में रडार के चालू होने की संभावना है।

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