CG Waqf Board: वहीं इस मामले को लेकर शहर की प्रमुख मस्जिद कमेटियों में मतभेद उभरने लगा है। शहर काजी मोहम्मद अली फारुखी का कहना है कि वक्फ बोर्ड को मदरसा और मस्जिदों के नमाज समय और त्योहारों पर दखल देना अनुचित है। वक्फ बोर्ड के आदेश को मानना या न मानना मस्जिद कमेटियों पर ही निर्भर करेगा।
CG Waqf Board: मस्जिदों के मुतवल्लियों का एक व्हाट्सऐप ग्रुप बना
वक्फ बोर्ड ने इस व्यवस्था के लिए प्रदेश के तमाम
मस्जिदों के मुतवल्लियों का एक व्हाट्सऐप ग्रुप बनाया है। इस ग्रुप में हर मुतवल्ली को जुमे की तकरीर का विषय डालना होगा। विषय की लाइन डालनी होगी। वक्फ बोर्ड से नियुक्त एक अधिकारी उस विषय और लाइन को परखेगा। उसके अप्रूवल के बाद ही फिर मस्जिदों में मौलाना उस विषय पर तकरीर कर सकेंगे।
कुछ तकरीर जज्बाती और भड़काऊ
वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सलीम राज का कहना है कि ज्यादातर तकरीर सामाजिक होती है, लेकिन कुछ तकरीर जज्बाती और भड़काऊ भी होती हैं। कांग्रेस सरकार के दौरान कवर्धा दंगा भी जुमे की नमाज के बाद हुई तकरीर के बाद भड़की थी। उन्होंने कहा, नए निर्देश और व्यवस्था की जानकारी प्रदेश के तमाम मुतवल्लियों को जारी कर दिया गया है। अगले शुक्रवार से इसे लागू करने को भी कहा गया है। मकसद बेहतर है कि तकरीर सामाजिक सौहार्द्र और समरसता को बढ़ावा देने वाली हो ना कि सियासी।
निर्देश नहीं मानने वालों पर एफआईआर
वक्फ बोर्ड अध्यक्ष सलीम राज ने बताया कि उनके निर्देश नहीं मानने पर मुतव्वलियों और मौलानाओं पर एफआईआर भी दर्ज कराई जा सकती है, क्योंकि वक्फ बोर्ड एक्ट ऐसा करने का अधिकार भी देता है।