scriptCG Solarman: 11 साल तक घर नहीं जाने का संकल्प.. सोलर एनर्जी को प्रमोट करने IIT बॉम्बे के प्रोफेसर निकले स्वराज यात्रा पर | CG Solarman: Vow to not go home for 11 years.. IIT Bombay professor sets out on Swaraj Yatra to promote solar energy | Patrika News
रायपुर

CG Solarman: 11 साल तक घर नहीं जाने का संकल्प.. सोलर एनर्जी को प्रमोट करने IIT बॉम्बे के प्रोफेसर निकले स्वराज यात्रा पर

CG Solarman: सोलरमैन ऑफ इंडिया के नाम से चर्चित IIT बॉम्बे के प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी ने लोगों को जागरूक करने के लिए घर नहीं जाने का संकल्प लिया है..

रायपुरAug 22, 2024 / 01:08 pm

Shradha Jaiswal

iit professor
CG Solarman: ताबीर हुसैन. ब्रिटिश इकोनॉमिस्ट की लिखी स्मॉल इज ब्यूटीफुल मेरी फेवरेट किताब है। यानी जो छोटा है वही सुंदर है। आजकल सब कुछ बड़ा-बड़ा का ट्रेंड है। बड़ी गाड़ी, बड़ा कारखाना, बड़ी बिल्डिंग। सारी समस्या की जड़ यही है। महात्मा गांधी कहते थे कि मॉस प्रोडक्शन नहीं, प्रोडक्शन बाय मॉसेस होना चाहिए। छोटे-छोटे प्रोडक्शन किए जाने चाहिए।
इस तरह के विचार व्यक्त किए सोलरमैन ऑफ इंडिया के नाम से चर्चित आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर और एनर्जी स्वराज मूवमेंट के फाउंडर चेतन सिंह सोलंकी ने। वे रविवि (पं. रविशंकर विश्वविद्यालय) और एनआईटी में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। बताया जाता है कि वे 11 साल तक अपने घर नहीं जाने का संकल्प लेकर एनर्जी स्वराज यात्रा पर निकले हैं।
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प्रदूषण सबको भुगतना पड़ता है।

पत्रिका से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि छोटे उत्पादन का फल पूरे समाज को मिलता है। बड़ा प्रोडक्शन करते हैं तो उसका फायदा कुछ ही लोगों को मिलता है, लेकिन उनका प्रदूषण सबको भुगतना पड़ता है। गांधीजी ने ग्राम स्वराज की जो कल्पना की थी उसके मायने ही यही है कि हम लोकल लेवल पर आत्मनिर्भर कैसे बनें।

चेतन सिंह ने व्यक्त किए अपने विचार

आपको बता दे कि रविवि (पं.रविशंकर विश्वविद्यालय) में इंडियन इनोवेशन काउंसिल (आईईसी) ने वर्ल्ड एंटरप्रेन्योरशिप-डे के एक कार्यक्रम में चेतन सिंह ने 6 पॉइंट ऑफ अंडरस्टैंडिंग क्लाइमेट चेंज एंड कलेक्टिव एक्शन पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि आज हम उन चीजों के विकास के पीछे भाग रहे हैं, जिनके बिना हम जी सकते हैं, जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, जबकि हमारी प्रकृति, पर्यावरण, मृदा, जल, और वायु को प्रदूषित कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जीडीपी बढऩे के बावजूद हमारी खुशहाली कम हो रही है, हिंसा और डिप्रेशन बढ़ रहे हैं। सोलंकी ने बताया कि हमारी ऊर्जा की 85 फीसदी आपूर्ति कोयला, पेट्रोल, और डीजल से होती है, जिनसे कार्बन उत्सर्जन होता है। यह कार्बन पृथ्वी पर 300 साल तक बना रहता है और इससे वातावरण का तापमान बढ़कर मौसम में बदलाव आता है।

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