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कॉर्डियोलॉजी विभाग में अनियमितता का यह मामला 2018-19 का है। सामान्यत: एल-़1 रेट भरने वाले वेंडर से जरूरी सामान सप्लाई करने का नियम है। ऐसा नहीं करने पर यह अनियमितता का मामला होता है। हार्ट की एंजियोप्लास्टी में स्टेंट, बलून, कैथेटर की जरूरत पड़ती है। ये सामान वेंडर सप्लाई करता है। इसके लिए बकायदा टेंडर किया जाता है। विभाग ने नियमों का पालन न करते हुए एल-3 रेट भरने वाले वेंडर को वर्कआर्डर जारी कर जरूरी सामान मंगवाया।
क्या है एल-1 या एल-3
एल-1 यानी सबसे लोएस्ट रेट। यानी टेंडर भरने वाले वेंडरों में सबसे कम रेट भरने वाला। सरकारी नियम के अनुसार एल-1 को ही वर्कआर्डर दिया जाता है। कार्डियोलॉजी विभाग में एल-1 व एल-2 को जंप कर एल-3 से सामान खरीदी गई, जो नियम विरुद्ध है। ये किन परिस्थितियों में खरीदी गई, ये जांच के बाद स्पष्ट हो पाएगा।
अधीक्षक डॉ एसबीएस नेताम है कि कार्डियोलॉजी विभाग में एल-3 वेंडर से जरूरी सामान मंगवाने की जांच के लिए कमेटी बनाने की मांग कॉलेज काउंसिल की बैठक में डीन से किया गया है। जांच होने के बाद ही पता चलेगा कि अनियमितता के लिए कौन जिम्मेदार है? आखिर एल-3 रेट भरने वाले वेंडर से सामान मंगाना क्यों जरूरी था?
CG Scam News: ऐसे प्रकाश में आया मामला
इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब तत्कालीन अधीक्षक डॉ. विनीत जैन की नजर में खरीदी संबंधी ये फाइल आई। उन्होंने इस खरीदी को नियम विरूद्ध बताया और मामला मेडिकल कॉलेज प्रबंधन तक पहुंचा। हाल ही में अस्पताल अधीक्षक डॉ. एसबीएस नेताम ने मामले को गंभीर बताते हुए कॉलेज काउंसिल की बैठक में डीन डॉ. तृप्ति नागरिया से मामले की जांच के लिए कमेटी बनाने की मांग की।
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तब विभाग के डॉक्टर सीधे कंपनी या वेंडर से बातकर सामान की सप्लाई करवाते थे। इस अनियमितता में किन-किन डॉक्टरों की भूमिका है, यह मामले की जांच होने के बाद पता चलेगा। आखिर एल-3 रेट भरने वाले को एल-1 रेट भरने वाले वेंडर की तुलना में तरजीह क्यों दी गई, यह जांच का विषय है।