स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल की अध्यक्षता में मंगलवार को 10 मेडिकल कॉलेजों की ऑटोनॉमस कमेटी की बैठक में 25 फीसदी राशि करने का निर्णय लिया गया। पत्रिका ने 17 जून के अंक में मेडिकल कॉलेजों में लोकल पर्चेस दवा के लिए सिर्फ 10 फीसदी बजट, यह नाकाफी शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था।
CG News: कम बजट से जूझते थे अस्पताल, जांच हो जाती ठप
दरअसल तब आंबेडकर समेत दूसरे मेडिकल कॉलेजों में रीएजेंट व दवाओं की भारी कमी थी। तब डीन व अधीक्षकों से चर्चा करने के बाद ये बात सामने आई थी कि सीजीएमएससी के पास कुल बजट की 90 फीसदी राशि रहती है और केवल 10 फीसदी कॉलेज प्रबंधन के पास। ऐसे में बजट खत्म होने पर न दवा की खरीदी की जा सकती है और न ही, रीएजेंट व कंज्यूमेबल आइटम की। रीएजेंट की कमी से दर्जनभर से ज्यादा ब्लड की जांच ठप थी। बैठक में हुए निर्णय के बाद स्वशासी समितियां मजबूत होंगी। शासन पर निर्भरता कम होगी और जरूरी चीजें तत्काल खरीदी जा सकेंगी।
CG News: ये भी फैसले भी आपके काम के…
राज्य शासन से आयुष्मान भारत योजना के तहत प्राप्त क्लेम अब 45 फीसदी कर दिया गया है। ये अभी तक 25 फीसदी था। फायदा: राशि बढ़ाने से मेडिकल कॉलेजों व अस्पतालों में अतिआवश्यक दवाइयां, मशीन की खरीदी व मेंटेनेंस, कंज्यूमेबल सामग्री खरीदने में मदद मिलेगी।
पहले 1 लाख रुपए से ऊपर के छोटे निर्माण, मरम्मत, मंत्रालय फाइल भेजनी पड़ती थी। नए निर्णय से अब इनके पास 10 लाख रुपए तक का वित्तीय अधिकार दिया गया है। फायदा: इसके लिए शासन स्तर से किसी अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी। काम जल्दी निपटाए जाएंगे।
भंडार व रीएजेंट की खरीदी के लिए अब डीन व अधीक्षक को पूरा अधिकार देने की अनुशंसा। स्वशासी समितियों का पुनर्गठन, सभी कॉलेजों की समिति के अधिकारों में एकरूपता। प्रबंधकारिणी समिति को दो करोड़ व वित्त समिति को प्रति कार्य 10 लाख रुपए का अधिकार।
वित्त समिति को केंद्र व राज्य शासन से मिले 5 करोड़ की राशि का अनुमोदन का अधिकार। स्वास्थ्य मंत्री, श्याम बिहारी जायसवाल ने बताया कि मेडिकल कॉलेजों में वित्तीय अनुशासन एवं सुधारों के जरिए बेहतर करने का प्रयास किया जा रहा है। राज्य गठन के बाद पहली बार डीन व अधीक्षकों का वित्तीय पॉवर बढ़ाया गया है। इससे मरीजों के लिए जरूरी दवा, रीएजेंट व कंज्यूमेबल आइटम तत्काल खरीदा जा सकेगा। अब वे छोटे-छोटे काम के लिए संचालनालय या मंत्रालय स्तर पर निर्भर नहीं रहेंगे।