CG Medical: CGMSC मैनेजमेंट में बड़ी लापरवाही, हर साल 12 करोड़ रुपए से ज्यादा की दवा हो रही एक्सपायर
CG Medical: डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में 26 लाख रुपए का आईवी फ्लूड एक्सपायर हुआ है। दवाएं एक्सपायर होने के कारण जानकार सप्लाई व पर्चेस मैनेजमेंट में लापरवाही को बताते हैं।
CG Medical: छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन (सीजीएमएससी) में हर साल 12 करोड़ रुपए से ज्यादा की दवा एक्सपायर हो जाती है। इसमें दवा के अलावा आईवी फ्लूड व दूसरे आइटम भी शामिल है। हाल ही में डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में 26 लाख रुपए का आईवी फ्लूड एक्सपायर हुआ है। दवाएं एक्सपायर होने के कारण जानकार सप्लाई व पर्चेस मैनेजमेंट में लापरवाही को बताते हैं। दूसरी ओर कई बार अस्पतालों में मरीजों को जरूरी दवाएं नहीं मिलती।
हाल ही में डेंटल कॉलेज में पैरासिटामॉल जैसे टेबलेट तक नहीं थे। एक्सपायर दवाओं पर सीजीएमएसी का दावा है कि सालभर में 350 से 400 करोड़ रुपए की दवाएं खरीदी जाती हैं। ऐसे में 5 फीसदी दवाएं एक्सपायर होना आदर्श स्थिति है। प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज अस्पताल, जिला अस्पताल, सीएचसी, पीएचसी व सब पीएचसी (CG Medical) में दवा सप्लाई करने का जिम्मा दवा कॉर्पोरेशन के पास है। अस्पतालों को दवा के लिए बजट दिया जाता है।
इसके बाद कॉर्पोरेशन टेंडर कर दवा की खरीदी करता है। इसमें 10 फीसदी अस्पतालों को लोकल पर्चेस के लिए दिया जाता है। जबकि 5 फीसदी प्रशासनिक खर्च के नाम पर काट दिया जाता है। पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि अस्पतालों में जरूरत के समय पर्याप्त दवा सप्लाई नहीं हो पाती। बाद में जब दवा भेजी जाती है तो इसका पूरा उपयोग नहीं हो पाता। ऐसे में दवाएं एक्सपायर हो जाती हैं।
छत्तीसगढ़ मेडिसिन कॉर्पोरेशन 2018 से 2022 तक
CG Medical: स्वास्थ्य मंत्री ने स्वीकारा, दवा खराब होने से बचाने की जरूरत
पिछले साल तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने जेल रोड स्थित एक होटल में दवा कॉर्पोरेशन के कार्यक्रम में स्वीकारा कि दवाएं ज्यादा एक्सपायर हो रही हैं। उन्होंने कॉर्पोरेशन के लेखा-जोखा का उल्लेख करते हुए बताया था कि हर साल 12 करोड़ की दवा एक्सपायर हो जाती हैं। इसे कम करने की जरूरत है, ताकि ये मरीजों के काम आ सके। कार्यक्रम में देशभर के फार्मास्यूटिकल कंपनियों के प्रतिनिधि, वेंडर व स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी भी मौजूद थे।
किसी दवा के टेंडर से लेकर अस्पतालों में सप्लाई होने में 8 माह तक लग जाता है। जब टेंडर व वर्कआर्डर के बाद दवा कॉर्पोरेशन के गोदाम में पहुंचती है, तब बैच के अनुसार दवा की क्वॉलिटी जांच कराई जाती है। इसके लिए कॉर्पोरेशन ने 5 से ज्यादा लैब के साथ एमओयू किया है। लैब से ओके रिपोर्ट आने के बाद ही दवाएं अस्पतालों (CG Medical) में भेजी जाती है। हालांकि इसके बाद भी कई दवाएं सब स्टैंडर्ड निकली है। इस पर लैब टेस्ट पर ही सवाल उठते रहे हैं।
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