पुलिस के मुताबिक डॉ. अषित कुमार को 2022 में अनजान व्यक्ति ने एक टेलीग्राम ग्रुप से जोड़ दिया। उस ग्रुप में शेयर बाजार में इन्वेस्टमेंट करने पर काफी मुनाफा मिलने, कम समय में ज्यादा कमाने जैसे मैसेज आते थे। इन मैसेजों को पढ़कर डॉक्टर भी उनके
झांसे में आ गए। इसके बाद टेलीग्राम ग्रुप में ही उन्हें एक लिंक भेजा गया। लिंक के जरिए उन्होंने ऑनलाइन रॉयलवीन मोबाइल ऐप डाउनलोड किया। इसी के जरिए रॉयलवीन में ऑनलाइन निवेश करने लगे।
वर्चुअल खाते का इस्तेमाल
साइबर ठगों ने डॉक्टर को कहा था कि रॉयलवीन के शेयर की मैच्योरिटी 11 जनवरी 2024 है। इसके बाद मुनाफा आहरण कर सकेंगे।
इस कारण डॉक्टर उसमें कभी 5 लाख, कभी 10 लाख निवेश करते गए। निवेश करने पर उनके शेयर की बढ़त और मुनाफे की राशि ऐप में ही यसबैंक के खाते में दिखाते थे। डॉक्टर ने उसमें 20 लाख से ज्यादा रकम जमा की। 11 जनवरी 2024 को जब उन्होंने खाते से रकम निकालने की कोशिश की, तो
ठगों ने उनसे अलग-अलग बहाने से रकम जमा करानी शुरू कर दी। उनसे कुल 88 लाख 75 हजार रुपए जमा करवा लिए।
इसके बाद भी जब मुनाफे वाली राशि नहीं निकाल पाए तो वे यसबैंक पहुंचे और अपनी राशि निकालने आवेदन किया। बैंक वालों ने बताया उनके नाम से कोई खाता नहीं है। जिस खाता नंबर में प्रॉफिट जमा है, वह खाता नंबर उनके बैंक में ही नहीं है। इसका खुलासा होने पर डॉक्टर ने अज्ञात साइबर ठगों के खिलाफ खम्हारडीह थाने में शिकायत की। पुलिस ने अज्ञात साइबर ठगों के खिलाफ अपराध दर्ज कर लिया है।
40 फीसदी फायदे का लालच
साइबर ठगों ने डॉक्टर को जमा राशि पर साल भर में 40 फीसदी फायदा देने का
झांसा दिया था। यह फायदा उन्हें मोबाइल ऐप के उनके वर्चुअल बैंक खाते पर दिखाई देता था, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं था। साइबर ठगी करने वाले झारखंड के बताए जा रहे हैं। पुलिस उन खातों की जांच कर रही है, जिनमें डॉक्टरों का पैसा गया है।
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