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CG Politics : पिता की शहादत का मोल तक नहीं जाना पार्टी ने… राजधानी में पत्रकारों से चर्चा करते हुए सीएम ने कहा, प्रदेश में 30 उम्मीदवारों को जेड प्लस सुरक्षा दी गई है। अच्छी बात है, पूरी देश को सुरक्षा देने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है। इसमें और लोगों को भी सुरक्षा देनी चाहिए। इसकी क्रोनोलॉजी समझ लेना चाहिए। अमित जोगी को भी जेड प्लस की सुरक्षा दी गई है। उन्होंने हाईकोर्ट में चुनाव लड़ने के लिए आवेदन लगाया है। इसकी कल सुनवाई है। जोगी और रमन सिंह की दोस्ती तो आप सब जानते हैं।
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आचार संहिता : लाइसेंसी हथियार निलंबित, एक सप्ताह में करना होंगे जमा सुरक्षा में सशस्त्र जवान होंगे तैनात बताया जाता है कि संवेदनशील क्षेत्रों में काम कर रहे बस्तर संभाग के इन 24 नेताओं को यह सुरक्षा एक दो दिन के अंदर सशस्त्र जवान तैनात कर दिए जाएंगे। यह सुरक्षा 31 दिसंबर तक निर्धारित की गई है। जिन भाजपा नेताओं को सीआरपीएफ सुरक्षा प्रदान की गई है उसमें दंतेवाड़ा, बीजापुर और कोंडागांव क्षेत्र में कार्य कर रहे नेता शामिल हैं। इसमें कुछ भाजपा उम्मीदवार और कुछ नेता शामिल हैं। बता दें कि दंतेवाड़ा से भाजपा विधायक भीमा मंडावी की हत्या 9 अप्रैल 2019 को लोकसभा चुनाव प्रचार से जिला मुख्याल लौटने के दौरान हुई थी। नकुलनार के श्यामगिरी गांव के पास आईईडी लगाकर नक्सलियों ने उनके काफिले को विस्फोट से उड़ा दिया था। इसमें विधायक मंडावी, उनके ड्राइवर, सुरक्षा गार्ड सहित कुल चार लोगों की मौत हो गई थी।
बीजापुर में श्रीनिवास मुदलियार, कमलेश मंडावी, लव कुमार रायडू, फूलचंद गागड़ा, घासी राम नाग, जागर लक्ष्मैया, संजय लुकर, किरण देव और सुधीर पांडे का नाम शामिल हैं। दंतेवाड़ा में मनीष सुराना, रामू नेताम, कमला नाग, जसवीर नेगी, संतोष गुप्ता, कामो कुंजाम, सत्यजीत सिंह चौहान, कुलदीप ठाकुर, सोमडु कोर्राम और धीरेंद्र प्रताप सिंह का नाम शामिल हैं।
सुकमा में धनीराम बारसे और संजय सोढ़ी।
कोंडागांव में जसकेतु उसेंडी।
कांकेर में देवलाल दुग्गा व भरत मटियारा का नाम शामिल हैं। यह भी पढ़ें :
CG Election 2023 : टिकट नहीं मिलने पर पूर्व विधायक का झलका दर्द, बोले.. जगदलपुर में प्रचार नहीं करूंगा, संगठन में रहकर करूंगा काम इसलिए सुरक्षा जरूरी बस्तर संभाग के ये चारों जिले नक्सल प्रभावित हैं। इन जिलों में कई संवेदनशील व अतिसंवेदनशील मतदान केंद्र हैं। इससे पहले भी आम चुनाव के दौरान अपनी मौजूदगी दिखाने के लिए नक्सल संगठन जनप्रतिनिधियों, सुरक्षाबल व मतदान कर्मियों पर हमला करते आए हैं। ऐसे में इन जनप्रतिनिधियों की सक्रियता से इन्हें नक्सली नुकसान न पहुंचाएं इसके मद्देनजर मंत्रालय ने यह एहतियाती कदम उठाया है।
मुख्यमंत्री को मेरी सुरक्षा को लेकर क्रोनोलॉजी बनाने और बताने के लिए समय है, लेकिन छत्तीसगढ़ में लगातार बढ़ रही घटनाओं के कारण महिला असुरक्षा पर बोलने का समय नही है। सुरक्षा मुझे दी गयी है, वो राजनीतिक नहीं, बल्कि एक प्रशासनिक प्रक्रिया के अंतर्गत दी गई है। चुनाव आयोग तथा सुरक्षा एजेंसियां इंटेलिजेंस के आधार पर अपना आकलन करती हैं और संबंधित व्यक्तियों को आवश्यक सुरक्षा मुहैया कराती हैं।