CG Cyber Fraud: छत्तीसगढ़ के रायपुर शहर में डिजिटल अरेस्ट करने के नाम पर लोगों से ऑनलाइन ठगी करने वालों को पकड़ने में पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। साइबर रेंज थाना की टीम ने 24 घंटे के भीतर राजनांदगांव से एक आरोपी को गिरतार किया है। आरोपी ने राजनांदगांव के बैंक खाते से ठगी का 9 लाख से ज्यादा राशि का आहरण किया था। मामले में और भी आरोपी हैं, जिनकी तलाश की जा रही है।
Digital Arrest: आरोपियों ने पंडरी निवासी 58 वर्षीय महिला को डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) बताकर 58 लाख रुपए ऑनलाइन ठग लिया था। इस राशि को आरोपियों ने अलग-अलग राज्य के बैंक खातों में ट्रांसफर किया और वहां से कैश विड्राल कर लिया है। मामले की शिकायत पर पंडरी पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया।
इसके बाद आईजी अमरेश मिश्रा के निर्देश पर साइबर रेंज थाना की टीम ने इसकी जांच की। जांच के दौरान आरोपियों के मोबाइल नंबर और बैंक खातों का डिटेल निकाला गया। जिन बैंक खातों में ठगी का पैसा ट्रांसफर हुआ था, उनमें से एक बैंक खाता राजनांदगांव में मिला।
CG Cyber Fraud: कई राज्यों के ठग हैं शामिल
यह खाता जसविंदर सिंह साहनी के नाम पर था। पुलिस ने उसे पकड़ा और पूछताछ की। इससे खुलासा हुआ कि जसविंदर ने उस बैंक खाते से ठगी का 9 लाख 50 हजार रुपए का आहरण किया है। जसविंदर का बेटा पिछले 4 साल से बाहर है। वह शेयर ट्रेडिंग और डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) के नाम पर ठगी करता है और उसी राशि को जसविंदर के बैंक खाते में ट्रांसफर करता है। पुलिस ने जसविंदर को गिरफ्तार कर लिया है। उनसे बैंक खाता, चेक बुक, मोबाइल के अलावा ठगी के 9.50 लाख रुपए भी जब्त किया गया है।
डिजिटल अरेस्ट से डरा रहे- खुद को पुलिस, कस्टम, आयकर और ट्राई जैसे विभागों का अधिकारी बताकर साइबर ठग उच्चशिक्षित लोगों को वीडियो कॉल करते हैं। किसी अपराध में नाम आने की झूठी कहानी बताकर उन्हें डराते हैं। फिर उन्हें इस मामले से बचने के लिए पूरे समय वीडियो कॉलिंग में जुड़े रहने को मजबूर करते हैं। इसे डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) बताते हुए पूरे समय उन पर नजर रखते हैं। फिर डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए पैसों की मांग करते हैं।
बच्चों को हिरासत में लेने के नाम पर भी
साइबर ठग किसी को कॉल करके उनके बेटे-बेटियों के हिरासत में होने की सूचना देकर धमकाते हैं। खुद को पुलिस या कस्टम अफसर बताकर बात करते हैं। ड्रग, सेक्स रैकेट जैसे मामले में बेटे-बेटियों को गिरतार करने की झूठी जानकारी देते हैं। फिर हिरासत से रिहा करने के बदले परिजनों से रुपए की मांग करते हैं। इसमें ऐसे लोगों को ज्यादा निशाना बनाते हैं जिनके बच्चे दूसरे शहरों में रहकर पढ़ाई या नौकरी करते हैं।
आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए मांगते हैं रुपए
साइबर ठग खुद को पुलिस अधिकारी बताकर ऐसे लोगों को फोन करते हैं, जिन्होंने किसी के खिलाफ अपराध दर्ज कराया हो। उनसे आरोपी की गिरतारी के लिए पैसे मांगे जाते हैं। फर्जी आईडी बनाकर लगा रहे चूना- पुलिस के बड़े अधिकारियों के सोशल मीडिया अकाउंट का क्लोन बनाकर भी लोगों को ठगने की कोशिश हो रही है। उनके फ्रेंडलिस्ट में शामिल लोगों से राशि मांगी जाती है।
इसमें जसविंदर के बेटे के अलावा पंजाब, दिल्ली, आंध्रप्रदेश के ठग भी शामिल हैं। पुलिस उनकी तलाश कर रही है। आरोपियों ने बुजुर्ग महिला को 24 घंटे वीडियो कॉल पर डिजिटल अरेस्ट बताकर 58 लाख रुपए ठगा। फिर उस राशि को अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिया। पूरी राशि को निकाल भी लिया है। इसमें पुलिस केवल 26 हजार रुपए ही होल्ड करवा पाई है। बाकी आरोपियों की तलाश की जा रही है।
ऐसे बचें ठगों से
बच्चों को हिरासत में लेने की कॉल आने पर पहले बच्चे या उसके साथियों को कॉल करके सुनिश्चित करें कि क्या मामला है? ऑनलाइन भुगतान न दें। डिजिटल हिरासत की स्थिति बने, तो ठगों की कॉल डिस्कनेक्ट कर तत्काल पुलिस को सूचना दें। पुलिस कभी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती और न ही दूसरी जांच एजेंसी।
मुकदमों में कार्रवाई और आरोपी को पकड़ने की बात कहकर रुपए मांगने का कॉल आए, तो स्पष्ट मना कर दें। अनजान नंबरों से आने वाले वीडियो कॉल न उठाएं, क्योंकि साइबर ठग न्यूड वीडियो बना लेते हैं। फिर उसी को वायरल करने के नाम पर ठगी करते हैं। इनसे सावधान रहें।
रात में सोते वक्त मोबाइल का इंटरनेट बंद करना भी ठगी से बचाता है। किसी अनजान इंटरनेट लिंक पर क्लिक न करें, आपकी निजी जानकारी ठगों को मिल सकती है। किसी को ओटीपी न बताएं, बैंक संबंधी डिटेल न दें।
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