CG By-elections: यानी थोक में मौजूद दावेदारों को टिकट पाने के लिए सर्वे की अग्निपरीक्षा से गुजरना होगा। सर्वे के जरिए दावेदारों की लोकप्रियता के साथ-साथ उसकी विश्वसनीयता भी देखी जाएगी। इसके दायरे में आने से कई दावेदार टिकट की दौड़ से अपने आप बाहर हो जाएंगे।
CG By-elections: नए चेहरे पर दांव खेलने की तैयारी
कांग्रेस- भाजपा दोनों ने उपचुनाव जीतने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि भाजपा-कांग्रेस दोनों नए चेहरों पर दावं खेल सकती है। भाजपा में इस बात की संभावना अधिक दिख रही है। हालांकि टिकट वितरण में सबसे अहम भूमिका पार्टी के सर्वे की होगी। इसके आधार पर ही प्रत्याशी की घोषणा होगी। बताया जाता है कि टिकट वितरण की चाहत में कई नेताओं ने अभी से बैठकों का दौर शुरू कर दिया है। अभी से दिखने लगी गुटबाजी
टिकट वितरण से पहले ही कांग्रेस-भाजपा में गुटबाजी दिखाई दे रही है। भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेता अपनों को टिकट दिलाने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं। हालांकि उम्मीद है कि संगठन के अंतिम फैसले के बाद इसका असर कम हो जाएगा। वहीं दूसरी ओर भाजपा की तुलना में कांग्रेस में गुटबाजी अधिक दिखाई दे रही है। पिछले दिनों में उपचुनाव की तैयारियों को लेकर कांग्रेस भवन में हुई बैठक में इसका असर दिखाई दिया था। माना जा रहा है कि इस गुटबाजी पर विराम नहीं लगा, तो कांग्रेस प्रत्याशी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
कांग्रेस-भाजपा दोनों को बदलाव की उम्मीद
रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट का उपचुनाव कांग्रेस-भाजपा के प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। यह भाजपा का अभेद गढ़ रहा है। यहां से कद्दावर नेता बृजमोहन अग्रवाल अपराजित योद्धा रहे हैं। भाजपा ने अग्रवाल को इस बार सांसद का प्रत्याशी बनाया था। उनके चुनाव जीतने के बाद यह सीट खाली हुई है। ऐसे में इस बार कांग्रेस को बदलाव की उम्मीद है। इस वजह से यहां कांग्रेस के दावेदार सक्रिय है। वहीं माना जाता है कि शहरी मतदाताओं में भाजपा के समर्थकों की संख्या अधिक रहती है। ऐसे में भाजपा के दावेदारों को उम्मीद है कि जिसे भी पार्टी टिकट देगी, उसकी जीत की राहत आसान हो सकती है। यही वजह है कि कांग्रेस-भाजपा के दावेदार टिकट पाने की चाहत लिए दिल्ली से लेकर स्थानीय नेताओं तक की दौड़ लगा रहे हैं। इसमें युवा से लेकर अनुभवी दोनों चहरे शामिल हैं।