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हार्ट चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू ने बताया कि छाती की हड्डी (स्टर्नम) को छेदते हुए गोली ने बाएं फेफड़े के ऊपरी एवं निचली हिस्से को क्षतिग्रस्त कर दिया था। अच्छी बात यह रही कि गोली हार्ट के ठीक किनारे लगी थी। हार्ट में लगने पर जान जा सकती थी।सांस लेने में हो रही थी दिक्कत
गोली लगने से बायीं छाती के अंदर (प्लुरल केविटी) में बहुत अधिक खून भर गया था एवं फेफड़े के क्षतिग्रस्त होने के कारण हवा भर गया था, जिसे हीमोन्युमोथोरेक्स (छाती की दीवार और फेफड़े के बीच रक्त का जमाव) कहते हैं। इस कारण मरीज ठीक से सांस नहीं ले पा रहा था। 28 जुलाई को अस्पताल पहुंचने पर युवक की छाती में ट्यूब डालकर हवा एवं खून बाहर निकला गया।
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30 जुलाई को सर्जरी करने की योजना बनाई गई। बायीं छाती को खोल कर फेफड़े को रिपेयर किया गया और गोली को निकाला गया। गोली की साइज 8 मिमी गुण 4 मिमी थी। सर्जरी के बाद युवक पूरी तरह से स्वस्थ है और डिस्चार्ज होकर घर जाने को तैयार है। सर्जरी में डॉ. निशांत सिंह चंदेल, एनेस्थेटिस्ट डॉ. अनिल गुप्ता, एनेस्थेसिया टेक्नीशियन भूपेन्द्र तथा नर्सिंग स्टाफ राजेन्द्र, मुनेश का सहयोग रहा।एसीआई में लगी 80 लाख की पोर्टेबल एक्स-रे मशीन
हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग में करीब 80 लाख रुपए की लागत से अति उच्च तकनीक वाली डिजिटल एक्स-रे मशीन स्थापित की गई है। पोर्टेबल डिजिटल एक्स-रे मशीन से अन्य मशीनों की तुलना में चंद सेकंड में ही इमेज मिल जाती है, जिसे एक्स-रे मशीन में ही लगी बड़ी स्क्रीन के माध्यम से आसानी से देखा जा सकता है। डॉ. कृष्णकांत साहू ने बताया कि मोबाइल की तरफ एक्स-रे मशीन हैं, जिसे ऑपरेशन थियेटर के अंदर भी ले जाकर इस्तेमाल किया जाता है। युवक की सर्जरी के दौरान इसका इस्तेमाल किया गया।