खुद के जाल में फँसे जिम्मेदार
नेशनल हाइवे सड़क के नियम के अनुसार सर्विस रोड का अनिवार्य है। इसके लिए पचपेड़ीनाका से शदाणी दरबार तक टिकरापारा, देवपुरी, डूमरतराई और बोरियाकलां के लोगों की इस सड़क के दोनों तरफ 18 जुलाई 2016 में भूअर्जन भी कराया, लेकिन जब सर्विस रोड बनाने और लोगों को मुआवजा देने की राष्ट्रीय राजमार्ग के क्षेत्रियी अधिकारी आनाकानी पर उतरे, परंतु अब वे उसी कानूनी दांव-पेंच में फंस गए हैं। क्योंकि, भूअर्जन का अवार्ड पारित होने के बाद फिर एनएच-एक्ट में वापस करने का कोई प्रावधान नहीं है। फिर भी आनाकानी में ही पूरा जोर है।हाईकोर्ट से मिली चुकी है करारी शिकस्त
कलेक्ट्रेट के राजस्व विभाग के अनुसार पचपेड़ीनाका से शदाणीदरबार 6 किमी तक सर्विस रोड निर्माण अनिवार्य है। इसी के तहत एनएचएआई के क्षेत्रिय अधिकारियों ने भूअर्जन की पूरी प्रक्रिया कराया। अवार्ड भी पारित हो गया, जिसे एनएचएआई के अधिकारियों ने वापस करने (डि-नोटिफिकेशन) के लिए हाईकोर्ट में अर्जी लगाया, जिसे 2023 में न्यायालय ने खारिज कर दिया। क्योंकि, एनएच के एक्ट में ही अवार्ड पारित होने के बाद जमीन वापस करने का कोई प्रावधान नहीं है।इतनी राशि प्रभावितों को भुगतान किया जाना है
टिकरापारा : 260 करोड़ 41 लाख 48 हजार 512 रु.देवपुरी : 139 करोड, 70 लाख 45 हजार 564 रु.
डूमतराई : 163 करोड, 81 लाख, 74 हजार 267 रु.
बोरियाकलां : 27 करोड, 78 लाख, 48 हजार 984 रु.