‘पत्रिका’ को मिले पत्र के मुताबिक राशन दुकानों में चावल, शक्कर और गुड़ के बचत के घोटाले को दबाने के लिए अब तीसरी बार राशन दुकानों का भौतिक सत्यापन 6 से 25 अप्रैल तक होने जा रहा है। इस सत्यापन के लिए राशन दुकानों में बचत स्टॉक की जानकारी 5 अप्रैल 2024 को जारी किए संबंधी पत्र फरवरी माह के अंत में जारी कर दिया गया है। पिछले डेढ़ साल के अंतराल में तीसरी बार राशन दुकानों में बचे राशन का भौतिक सत्यापन होगा। जबकि खाद्य मंत्री ने विधानसभा जांच समिति से पूरे मामले की जांच कराने का आश्वासन बजट सत्र में दिया था।
बाजार से खाद्यान्न खरीद कर भरवाने का मौखिक आदेश: बाजार से चावल और शक्कर खरीद कर रखवाने का मौखिक आदेश वीडियो कांफ्रेंस में दिया गया है जो नियम विपरीत है। राशन दुकानों में कम स्टॉक को बाजार से खरीद कर भरवाने को कहा गया है। जबकि नियम है कि प्रकरण दर्ज कर आरसीसी जारी कर राजस्व वसूली की जानी चाहिए। मामले में अब विधानसभा के विधायकों की समिति से निष्पक्ष जांच कराने का मामला अटका हुआ है।
खुद विधानसभा अध्यक्ष ने पिछली सरकार में उठाया था मुद्दा: कांग्रेस शासन काल में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने 600 करोड़ रुपए के राशन बचत घोटाले का मुद्दा बीते साल उठाया था। 2024 के बजट सत्र में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक, अजय चंद्राकर और राजेश मूणत ने पिछले खाद्य मंत्री द्वारा आश्वासन देने के बाद जानकारी न देने का मुद्दा उठाते हुए विधायकों की समिति से जांच की मांग की थी।
जिसे खाद्य मंत्री दयालदास बघेल ने स्वीकार कर लिया था। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने तारांकित प्रश्न के माध्यम से जानकारी मांगी थी, जिसमें 216 करोड़ के राशन बचत घोटाले का खुलासा हो चुका है। कौशिक ने आपत्ति की थी कि दो महीने चावल का कोटा देने के बाद फिर तीसरे महीने बीते दो महीनों का बचत नहीं घटाने के लिए विभागीय अधिकारी जिम्मेदार हैं। उनके विरुद्ध कार्रवाई की मांग की थी।
कौन है असली आरोपी विधायकों की जांच समिति के डर से संचालनालय के अधिकारी और मैदानी अधिकारी एक दूसरे पर दोष मढ़ रहे हैं। मैदानी अधिकारियों का कहना है कि अरबों के राशन बचत घोटाले के अधिकारियों ने खाद्य निरीक्षकों के घोषणा पत्र को अनदेखा कर दिया। जिन दुकानों के घोषणा पत्र नहीं आए वहां के निरीक्षकों पर कार्रवाई भी नहीं की। इसके बावजूद हर महीने पूरा कोटा दुकानों में पहुंचता रहा।
राशन दुकानों में राशन सामग्री कम होने के कारण ट्रक चालान की एंट्री न होना, सर्वर में अपलोड न करना बताया गया है। दूसरी ओर संचालनालय के अधिकारियों का कहना कि खाद्य निरीक्षकों से हर माह नियमानुसार सत्यापन नहीं किया।