नगर निगम के आंकड़े बताते हैं कि रायपुर के 70 वार्डों से रोजाना 450 टन कचरा उठाया जाता है। यह कचरा घरों, दुकानों, मॉल, रेस्त्रां, होटलों से लेकर नाले-नालियों से निकलता है, जो ट्रेंचिंग ग्राउंड में डम्प किया जाता है। अनुमान के तहत करीब सात फीसदी पॉलीथिन होती है। पॉलीथिन की बिक्री बंद नहीं होने से लगातार बेजुबानों की मौत भी हो रही है। इसके बाद भी जिम्मेदार पॉलीथिन बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं। हालात यह है कि जिन विभागों के पास कार्रवाई का जिम्मा है उनके आसपास भी खुलेआम पॉलीथिन की बिक्री हो रही है।
…पैसे दो डाक में लोड हो जाएगा माल CG News: पत्रिका टीम गुढ़ियारी स्थित एक थोक दुकान में पहुंची। जब कारोबारी से पॉलीथिन मांगी तो उसने एक बारगी मना कर दिया। फिर कहा, आपकी दुकान कहां है, आज तक देखा नहीं। फिर जब बताया कि अंबिकापुर में नई दुकान खोली है तो बोला कि आप तो पैसे दो माल आपकी दुकान पर पहुंच जाएगा। व्यापारी ने तर्क दिया कि कभी शिकायत नहीं हो इसलिए अनजान को माल नहीं देते। रेट बढऩे के सवाल पर कहा कि मिल रही है जो कम है क्या, सरकार ने पाबंदी लगा रखी है, आपको पता नहीं है क्या…।
लगातार हो रही कार्रवाई ban on polythene: जिला पंचायत और नगर निगम की ओर से प्लास्टिक के कैरी बैग के स्थान पर कपड़े, जूट के बैग बनाने वाली महिला समूहों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। पर्यावरण संरक्षण मंडल और निगम द्वारा लगातार कार्रवाई की जा रही है।
– डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे कलेक्टर, रायपुर एक्सपर्ट् व्यू… स्वास्थ्य के साथ जमीन के लिए भी पॉलीथिन बेहद हानिकारक होती है। जिस जमीन के अंदर अधिक मात्रा में पॉलीथिन को दबाकर नष्ट किया जाता है, वहां उर्वरता भी नष्ट हो जाती है। पॉलीथिन की वजह से भू-जल स्तर गिरने के साथ पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है। पॉलीथिन एक ऐसा वेस्ट है, जिसको नष्ट होने में सैकड़ों साल लग जाते हैं।
मोनिका सुराना, नो प्लास्टिक यूज़ इंडिया संस्था