प्लानिंग के मुताबिक कैंसर के लिए बायोसेंसर विकसित करने, विभिन्न अस्थिरोगों में प्रयोग किए जाने वाले इंप्लांट्स, (CG Raipur News) एंटी बायोटिक कैरियर और टेलीमेडिसिन सहित विभिन्न चिकित्सा विभागों के दैनिक कार्यों में मदद के लिए साफ्टवेयर बनाने पर सहमति बन गई है। (CG Raipur News) दोनों संस्थानों ने शोध और अनुसंधान को लेकर कुछ समय पहले ही एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं।
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आईआईटी के मैकेनिकल विभाग ने दी सहमति
एम्स के निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम नागरकर और आईआईटी भिलाई के निदेशक प्रो. राजीव प्रकाश के निर्देशन में इस पर लगातार काम भी हो रहा है। इसी का नतीजा है कि एम्स के अस्थि रोग विभाग के लिए नेल्स, नी कैप्स जैसे किफायती इंप्लांट्स डेवलप करने पर (CG Raipur News) आईआईटी के मैकेनिकल विभाग ने सहमति दे दी है। हड्डी की अंदरुनी चोटों को ठीक करने बायो डिग्रेडिबल यूनिक एंटी बायोटिक कैरियर बनाने और पोस्ट ऑपरेटिव रिस्क कैलकुलेशन में भी आईआईटी मदद करेगा। (CG Raipur News) माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा कैंसर की शुरुआती जांच के लिए विकसित किए जा रहे बायोसेंसर, शुगर पेशेंट्स के लिए माइक्रोनीडल इंसुलिन पैचेस डेवलप करने, क्लिनिकल ट्रायल्स में भी दोनों साथ मिलकर काम करेंगे।