script108 रामायण ग्रंथों की व्याख्या करने पर महंत डा.रामसुंदर दास को मिली डी लिट की उपाधि | Mahant Dr.Ramsundar Das got D Litt for interpreting 108 Ramayana texts | Patrika News
रायपुर

108 रामायण ग्रंथों की व्याख्या करने पर महंत डा.रामसुंदर दास को मिली डी लिट की उपाधि

डा.महंत ने कहा कि इस उपाधि को प्राप्त करने में चार वर्ष का समय लगा। काफी कठिनाई और 108 से अधिक रामायण की ग्रंथों का विश्लेषण करने के बाद यह उपाधि प्रदान की गई है।

रायपुरOct 23, 2022 / 08:08 pm

CG Desk

108 रामायण ग्रंथों की व्याख्या करने पर महंत डा.रामसुंदर दास को मिली डी लिट की उपाधि

108 रामायण ग्रंथों की व्याख्या करने पर महंत डा.रामसुंदर दास को मिली डी लिट की उपाधि

दूधाधारी मठ के महंत डा.रामसुंदर दास को रामायण ग्रंथों का विश्लेषण करने पर डी लिट की उपाधि प्रदान की गई है। गांधी चौक स्थित महंत लक्ष्मीनारायण दास महाविद्यालय में पंडित रवि शंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से डी लिट की मानद उपाधि से सम्मानित राज्य गोसेवा आयोग के अध्यक्ष डा.महंत का सम्मान स्मृति चिन्ह भेंट कर किया गया।

डा.महंत ने कहा कि इस उपाधि को प्राप्त करने में चार वर्ष का समय लगा। काफी कठिनाई और 108 से अधिक रामायण की ग्रंथों का विश्लेषण करने के बाद यह उपाधि प्रदान की गई है। डी लिट की उपाधि में शोध अध्ययन के निदेशक डा. वैष्णव रहे हैं, जिनके मार्गदर्शन में शोध अध्ययन को पूरा किया है। इस अध्ययन के दौरान 10 से अधिक संस्कृत में शोध पत्रों का प्रकाशन के साथ तीन भौतिक ग्रंथों का भी प्रकाशन किया और उनकी अनुमति के बाद ही यह उपाधि प्रदान की गई।

डा.महंत ने कहा कि एक अवसर ऐसा भी था जब अध्ययन के लिए पुस्तकें उपलब्ध नहीं हो पा रही थी, परंतु निश्चय कर लिया था। कई बार यह प्रश्न पूछा गया कि शोध अध्ययन का क्या उपयोग होगा। जवाब में सभी विश्लेषकों को बताया गया कि त्रेता युग में ऋषि मुनि किस तरह का जीवन जिया करते थे। राजा महाराजाओं का तौर तरीका क्या होता था। किस तरह से समाधान निकाले जाते थे। इस अध्ययन से भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म को एक ऊंचाई तक ले जाया जा सकेगा।

मुख्य अतिथि पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से विधायक एवं संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने कहा कि डा. महंत छत्तीसगढ़ की एक ऐसी पहचान है जिन्हें हर छत्तीसगढ़िया नागरिक जानता और पहचानता है। डा.महंत ने छत्तीसगढ विधानसभा में विधायक के तौर पर भी अपनी कार्यशैली से विशेष पहचान बनाई। साथ ही छत्तीसगढ़ में माता कौशल्या की जन्मतिथि ज्ञात करने के लिए देशभर के विद्वानों के विचार मंगवाकर एक अनोखा कार्य करने जा रहे हैं।

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