समर्पित नक्सली नन्दू बेहाड़े ने बताई आपबीती
मूलरूप से महाराष्ट्र के निवासी आत्म समर्पित नक्सली नंदू बेहाड़े (बंटी)ने बताया कि वह 14 साल पहले नक्सल संगठन से जुड़ा ट्रेनिंग ली औऱ अर्बन नेटवर्क में काम किया. इसके बाद वह लगातार इस संगठन में काम करते हुए 2010 से जंगल में नक्सलियों के साथ मुख्य संगठन में काम करने लगा. नरेंद्र तुमडे जैसे बड़े नक्सली लीडर के साथ रहकर संगठन की गतिविधियों का आगे बढ़ाएं. शासन की नीति से प्रभावित होकर प्रदेश सरकार की पुनर्वास योजना से प्रभावित होकर उसने 13 फरवरी 2019 को राजनांदगांव पुलिस के समक्ष समर्पण कर दिया.
जंगल में होती है महिलाओं को कई तकलीफे
इस योजना से प्रभवित होकर आतंक की राह छोड़ने वालों की सूची में सिर्फ पूरी ही नही बल्कि महिला नक्सली भी शामिल हैं. आत्म समर्पित नक्सली सरिता मंडावी ने साल 2011 में नक्सली संगठन में प्रवेश किया था. सरिता ने बताया कि इससे पहले जंगल में बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. गर्मी व बारिश के दिनों कई बार बीमार पड़ते थे. तब दवाइयां भी नशीब नही होती. गर्मी में कई बार भूखे रहना पड़ता था. अब सरकार की पुनर्वास योजना से प्रभावित होकर समर्पण करने के बाद जीवन में परिवर्तन आया है. सरकार से नौकरी मिली है जिससे अपने परिवार के साथ रहकर अच्छी जिंदगी बिता रहें हैं. शहर में रहकर अपने बच्चों को पढ़ा लिखा पा रहे.
सरकार के खिलाफ भड़काकर संगठन में शामिल करते हैं नक्सली
राजनांदगांव एसपी प्रफुल ठाकुर ने बताया कि शासन की योजना से प्रभावित होकर 2007 से अब तक लगभग 42 नक्सलियों ने एक नई जिंदगी की शुरआत की है. नक्सल गतिविधियों में शामिल इन आत्मसमर्पित नक्सलियों को सरकार को योजना का लाभ मिल रहा है. ज्यादातर नक्सलियों ने मुख्य संगठन में काम करने वाले नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. जिसमें नक्सली दंपत्ति शामिल है. एसपी ने बताया कि ज्यादातर समर्पित नक्सलियों को जिला मुख्यालय में रखा गया है. दरअसल जंगल और पहाड़ियों में अपना कैम्प बनाकर जीवन जीने वाले, जंगलों में कई समस्याओं से जूझते हुए नक्सली संगठन संचालित करते हैं. इस बीच ग्रामीणो को नक्सली संगठनो द्वारा कई बार परेशान किया जाता है. इस भय से ग्रामीण इनके संगठनों में शामिल होते हैं. कई युवाओं को सरकार और सत्ता के खिलाफ भड़काकर संगठन में प्रवेश कराया जाता हैं.