आयुष्मान योजना के अंतर्गत लगभग साढ़े 4 हजार बीमारियों को शामिल किया गया है। इसमें 67 प्रकार की बीमारी जिसमें सिजेरियन डिलीवरी, गर्भाशय निकालना, मोतियाबिंद समेत अन्य बीमारियों के इलाज का पैकेज निजी अस्पतालों से हटा दिया गया है। यानी इनका इलाज सरकारी अस्पतालों में ही होगा। इसके अलावा बाकी इलाज निजी व सरकारी दोनों अस्पतालों में हो सकता है। लेकिन निजी अस्पतालों में इसके तहत इलाज को लेकर देश के सभी राज्यों में अपना अलग-अलग पैकेज निर्धारित किया गया है।
पहले बताए हो जाएगा इलाज, फिर मुकर गए
भोपाल निवासी सरजू प्रसाद कौशिक (56) के पैर में डॉक्टरों ने गैंगरिन होना बताया। इस पर वे बिलासपुर स्थिति अंकुर ट्रामा सेंटर में इलाज कराने पहुंचे। यहां डॉक्टर ने ऑपरेशन की बात कही। इस पर मरीज के परिजनों ने आयुष्मान कार्ड से इलाज करने कहा। साथ ही बताया कि उनका कार्ड मध्यप्रदेश का है। इस पर उन्हें कहा गया कि आयुष्मान योजना के तहत ही उनका यहां भर्ती कर इलाज हो जाएगा। पूरे इलाज में 1 लाख 30 हजार रुपए खर्च आएगा। इसमें 1 लाख रुपए कैश देना होगा, बाकी कार्ड से काट लेंगे। 23 अप्रैल को ऑपरेशन हुआ। 29 अप्रैल को डिस्चार्ज करने के वक्त बताया गया कि उनका आयुष्मान कार्ड मध्यप्रदेश का है। जिस बीमारी का इलाज हुआ है, उसका तो यहां पैकेज ही नहीं है। लिहाजा पूरे-पूरे 1 लाख 40 हजार रुपए देने होंगे। बता दें कि इस बीच मरीज से दवा व अन्य के नाम पर 1 लाख रुपए जमा भी करा लिए गए थे। मजबूरी में मरीजों के परिजन किस्तों में बाकी फीस देने की गुजारिश की तब कहीं जाकर उन्हें डिस्चार्ज किया गया। डॉक्टर्स की राय
- मैंने मरीज को पहले ही पूरी जानकारी दे दी थी कि उनका आयुष्मान कार्ड मध्यप्रदेश का है, यहां निजी अस्पताल में उसका इलाज नहीं होगा। सरकारी में कहीं भी हो सकता है। यहां इलाज कराने पर पूरी फीस देनी होगी। मरीज व उनके परिजन जब राजी हुए तभी इलाज शुरू किया गया। मरीज का अरोप बेबुनियाद है।
- आयुष्मान स्वास्थ्य योजना केंद्र सरकार की है। इस योजना के अंतर्गत देशभर के सरकारी अस्पतालों में इससे इलाज हो रहा है, पर निजी अस्पतालों में इलाज को लेकर हर राज्य का अपना अलग-अलग पैकेज क्राइटेरिया है। अत: मरीजों को निजी अस्पताल में इलाज से पहले पैकेज संबंधी जानकारी प्राप्त करने के बाद ही इलाज शुरू कराना चाहिए।